हाल ही में मीडिया में यह बात सामने आई है कि भारतीय सेना ने इन-सर्विस T-72 मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) की सेवा के वर्षों को बढ़ाने के अपने कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए एक निविदा जारी की। भारतीय सेना द्वारा 21 नवंबर को जारी सूचना के अनुरोध (आरएफआई) से यह जानकारी सामने आई है।
आरएफआई में कहा गया, ‘टैंक T-72 का ओवरहाल II’ नामक कार्यक्रम इस उद्देश्य के साथ चलाया जा रहा है कि T-72 को ‘नवीन स्वरूप के समतुल्य’ रिस्टोर किया जाए।
यह भी कहा गया कि कार्यक्रम का लक्ष्य T-72 टैंकों ‘उम्र के प्रभावों को बेअसर करना और उनको ‘लगभग शून्य घंटे और शून्य किलोमीटर की परिचालन तत्परता’ तक रिस्टोर करना है।
T-72 टैंक कितना शक्तिशाली है?
T-72 मुख्य युद्धक टैंकों का एक परिवार है जिसका उत्पादन 1969 में शुरू हुआ। इसे विभिन्न टैंकों और अन्य बख्तरबंद लक्ष्यों या शत्रु सैनिकों को मार गिराने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह टैंक 4,500 मीटर की मारक क्षमता वाली तोप से सुसज्जित है। 12.7 मिमी एंटी-एयरक्राफ्ट मशीन गन के माध्यम से यह कम ऊँचाई पर उड़ रहे लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम भी है। साथ ही टैंक उन प्रणालियों से लैस है जो सामूहिक विनाश हथियारों के प्रभाव से चालक दल की रक्षा कर सकती हैं।
कुल मिलकर लगभग 25,000 T-72 टैंक बनाए गए हैं, और नवीनीकरण ने कई को दशकों तक सेवा में बने रहने में सक्षम बनाया है। रूस ने व्यापक रूप से इसका निर्यात किया है, 40 देशों और कई संघर्षों में इसका प्रदर्शन किया गया है।
बता दें कि T-72 टैंकों के विभिन्न संस्करणों का उत्पादन यूगोस्लाविया, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया और भारत में लाइसेंस के तहत किया गया।
रूस और भारत रक्षा क्षेत्र में बढ़ा रहे हैं सहयोग
13-17 नवम्बर को दुबई में एयर शो 2023 का आयोजन हुआ। इस आयोजन से यह बड़ी जानकारी सामने आई है कि भारत और रूस रक्षा क्षेत्र में अपनी साझेदारी बढ़ाना चाहते हैं।
रूसी समाचार समिति के अनुसार, हथियार बनाने वाली रूस की कंपनी रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के सीईओ अलेक्जेंडर मिखेयेव ने कहा कि संभावना है कि रूस और भारत पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट एसयू-57 फाइटर जेट्स का संयुक्त उत्पादन करेंगे।
इसके अतिरिक्त, अलेक्जेंडर मिखेयेव ने कहा कि भारत और रूस के मध्य एक और रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर लिए गए, जिसके अंतर्गत रूस भारत को हाथ से पकड़ी जा सकने वाली विमान भेदी मिसाइल प्रणाली इग्ला-एस की आपूर्ति करेगा। ज्ञात हुआ है कि समझौते के अंतर्गत इसका उत्पादन भारत में हो सकता है।
वहीं, भारतीय सासा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के महानिदेशक राकेश गोयल ने खुलासा किया कि रूस और भारत ने संयुक्त उत्पादन को व्यवस्थित करने सहित भारत में मानव रहित विमान प्रणाली उद्योग के विकास पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। अनुमान है कि रूसी ड्रोनों का उपयोग भारत में कृषि और पर्वतीय क्षेत्रों में सामान पहुंचाने में भी किया जा सकता है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार रूस अभी भारत को रक्षा उत्पादों की आपूर्ति करने में सर्व प्रथम स्थान पर है, इसके उपरांत फ्रांस और अमेरिका आते हैं।