परियोजनाओं में एक विमानवाहक पोत के साथ-साथ 97 तेजस लड़ाकू विमान और 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का निर्माण अपेक्षित हैं। कथित तौर पर तीनों परियोजनाओं की लागत लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये होगी।
समाचार आउटलेट ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली भारतीय रक्षा अधिग्रहण परिषद 30 नवंबर को अपनी बैठक में इन तीन परियोजनाओं को हरी झंडी देगी। इस बैठक में 'आवश्यकता की स्वीकृति' (AoN) चरण को अंजाम दिया जाएगा। यह क्रय प्रक्रिया का पहला चरण है।
मेगा-प्रोजेक्ट्स को पूर्ण होने में कई वर्ष लगेंगे, परंतु भारत के लिए रक्षा क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि उसका उत्तरी पड़ोसी तेजी से मल्टी-डोमेन युद्ध प्रणालियों के लिए अपनी क्षमता का निर्माण कर रहा है।
गौरतलब है कि भारत का रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) भारत की अपनी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (LR-SAM) 'आयरन डोम' तैयार कर रहा है। यह 2028-2029 तक बनकर तैयार हो जाएगा।
बता दें कि भारत ने पहले ही सरकारी स्वामित्व वाली हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 83 तेजस जेट का ऑर्डर दे दिया है, और पिछले ऑर्डर में अब 97 जेट भी जोड़े जाएंगे।
भारत के पास अभी दो विमानवाहक पोत हैं। आईएनएस विक्रांत को सितंबर 2022 में कमीशन किया गया था। यह वर्ष 2024 तक युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा। दूसरा, रूस से प्राप्त नवीनीकृत आईएनएस विक्रमादित्य है जिसे 2013 में नौसेना में सम्मिलित किया गया था।