भारतीय मीडिया ने रक्षा मामलों से जुड़े सूत्रों के हवाले से कहा कि भारतीय सेना ने यूक्रेन संकट और लद्दाख विवाद के बीच आने वाले 10 वर्षों की गोला-बारूद की आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र एक साथ कार्य करते हैं। लगभग 85 प्रतिशत गोला-बारूद की आवश्यकता का स्वदेशीकरण पहले ही किया जा चुका है।
सूत्रों का हवाला देते हुए मीडिया ने कहा, “हमारा उद्देश्य गोला-बारूद के भंडार को वांछित स्तर तक बढ़ाना, आयात को कम करना, देश में आत्मनिर्भरता हासिल करना, आपूर्ति के कई स्रोत रखना तथा स्वदेशी विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देना है। पहला कदम सभी आयात-निर्भर गोला-बारूद का स्वदेशीकरण करना है।”
आपको बता दें कि गोला-बारूद का भंडारण आम तौर पर गहन युद्धों और सामान्य युद्धों के लिए आवश्यकताओं के संदर्भ में किया जाता है और मोटे तौर पर 30 दिनों की गहन लड़ाई और 30 दिनों की सामान्य लड़ाई को ध्यान में रखा जाता है।