आज के दिन देश भर में लोग विभिन्न तरीकों से पूर्व पीएम को पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हैं, इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने के लिए हर बूथ पर रचनात्मक कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यकाल के दौरान सुशासन का प्रदर्शन करते हुए कई पहलें शुरू कीं, जिसकी वजह से जन-केंद्रित पहलों ने भारत की परिवर्तनकारी यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। किसान क्रेडिट कार्ड, स्वर्णिम चतुर्भुज, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यक्रम और सर्व शिक्षा अभियान शामिल जैसी प्रमुख योजनाएं उनके कार्यकाल में प्रमुख रहीं।
प्रधानमंत्री के तौर अपना कार्यकाल खत्म करने के कुछ समय बाद वे सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए। 11 जून, 2018 को किडनी में गंभीर संक्रमण के कारण उन्हें एम्स में अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके तुरंत बाद उनका निधन हो गया।
कौन थे अटल बिहारी वाजपेयी?
वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था। उन्होंने एक पत्रकार और कार्यकर्ता के रूप में अपना करियर शुरू किया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापकों में से एक बने, जिससे उन्हें राष्ट्रीय मंच पर ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल हुईं।
एक सर्वोच्च वक्ता और जिम्मेदार नेता होने के साथ साथ वाजपेयी एक प्रसिद्ध कवि और लेखक भी थे। वे भाजपा के पहले ऐसे नेता थे जो भारत के प्रधानमंत्री बने।
उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाला है, जिसका नाम है "मैं अटल हूं"। यह फिल्म रवि ऋषि विरमानी द्वारा लिखी और रवि जाधव द्वारा निर्देशित की गई है। इसमें अटल का किरदार अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने निभाया है।
उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 2015 में सम्मानित किया गया।
वाजपेयी कार्यकाल के मुख्य निर्णय क्या थे?
प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल बहुत चुनौतीपूर्ण रहा। अपने कार्यकाल के दौरान देश को कारगिल, कंधार अपहरण और संसद हमले सहित सुरक्षा बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन वे अपनी कूटनीति और सैन्य बल के संतुलित दृष्टिकोण से इन सब चुनौतियों को हल करने में कामयाब रहे।
रक्षा क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए भारत ने वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण भी किया।
वाजपेयी एक शांतिप्रिय नेता के तौर पर जाने जाते थे लेकिन समय आने पर उन्होंने यह साबित किया कि वे कड़े निर्णय ले सकते हैं। कारगिल संघर्ष और संसद पर हमले के बाद सैन्य तैनाती के दौरान देखा गया कि वे देश के हितों की रक्षा के लिए सैन्य बल का उपयोग करने की तत्परता भी रखते हैं।
क्या है सुशासन दिवस?
नवनिर्वाचित नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2014 में घोषणा की थी कि पूर्व प्रधान मंत्री के सम्मान में 25 दिसंबर को हर साल "सुशासन दिवस" के रूप में मनाया जाएगा।
यह सुशासन की प्रक्रिया में जनता की भागीदारी बढ़ाने और जनता और सरकार के बीच घनिष्ठ संबंध को बढ़ावा देने का भी प्रयास करता है।
केंद्र सरकार और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इस दिन देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित करती हैं।