https://hindi.sputniknews.in/20230808/1999-men-kaargil-yuddh-kisne-jiitaa-3440248.html
1999 में कारगिल युद्ध किसने जीता?
1999 में कारगिल युद्ध किसने जीता?
Sputnik भारत
कारगिल युद्ध भारतीय सेना के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में जाना जाता है, इस पर जीत पाने के लिए सेना के कई वीर ऑफिसर और जवानों ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया।
2023-08-08T13:56+0530
2023-08-08T13:56+0530
2023-08-08T13:56+0530
explainers
भारत
लद्दाख
जम्मू और कश्मीर
भारतीय सेना
भारतीय सशस्त्र सेनाएँ
भारतीय वायुसेना
द्वितीय विश्व युद्ध
लड़ाकू विमान मिग-29
पाकिस्तान
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/08/07/3448257_0:138:1628:1054_1920x0_80_0_0_08137bab544a16fefdc3bcaafe07557d.jpg
भारत 15 अगस्त को अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, भारत के इतिहास का यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है जब सारा देश अपने अपने तरीके से इसे मनाता है। इस दिन लोग भारत की स्वतंत्रता और देश की सुरक्षा करते हुए जिन जबाजों ने कुर्बानी दी उनको याद करते हैं। ऐसा ही एक युद्ध सन 1999 मैं लड़ा गया भारत और पाकिस्तान के बीच जिसे हम कारगिल युद्ध के नाम से जानते हैं, भारत की 76वीं स्वतंत्रता दिवस पर हम याद कर रहे हैं कारगिल युद्ध को जिसमें 400 से ज्यादा जवान भारतीय सीमा की सुरक्षा करते शहीद हो गए थे। कारगिल का युद्ध भारतीय सेना के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में जाना जाता है, यह एक ऐसा टास्क था जिस पर जीत पाने के लिए सेना के कई वीर ऑफिसर और जवानों ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। इस युद्ध में जीत के लिए सेना के तीनों अंगों ने प्रमुख भूमिका निभाई जिससे पड़ोसी देश पकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा। वैसे तो जम्मू कश्मीर में स्थित कारगिल अक्सर शांत रहता है और ज्यादातर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है लेकिन साल 1999 में यह दो देशों भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का गवाह बना। 1999 में कारगिल-द्रास सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों से भारतीय क्षेत्रों को वापस लेने के लिए भारतीय सेना द्वारा 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया गया था। भारत ने भारतीय सेना के मिशन 'ऑपरेशन विजय' और वायु सेना के मिशन 'ऑपरेशन सफेद सागर' की मदद से सफलता हासिल की। भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष तब शुरू हुआ जब पाकिस्तान की ओर से घुसपैठियों ने लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार कर कारगिल जिले में ऊंची जगहों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना को इस कब्जे के बारे में जानकारी सबसे पहले 3 मई को मिली। इस संघर्ष के शुरुआत में सभी को लगा की जो घुसपैठिये भारतीय सीमा में दाखिल हुए हैं वे कुछ जिहादी हैं लेकिन जैसे-जैसे आक्रमण का व्यापक स्तर बढ़ता गया वैसे-वैसे पाकिस्तान की भूमिका को नकारना संभव नहीं था। संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों द्वारा इजरायल को उन हथियारों की खेप की डिलीवरी में देरी करने के लिए मजबूर किया गया था, जिसका ऑर्डर युद्ध से पहले दिया गया था। हालांकि, इजराइल ने ऑर्डर तुरंत वितरित कर दिया था और इजराइल इकलौता ऐसा देश था जिसने मोर्टार और गोला-बारूद के जरिए भारत की सहायता की। इजरायल ने भारत को अपने लड़ाकू विमानों और निगरानी ड्रोनों के लिए लेजर-निर्देशित मिसाइल भी प्रदान की। Sputnik आज आपको बताने जा रहा है भारत और पाकिस्तान के बीच 20वीं सदी के आखिरी संघर्ष के बारे में, जिससे आप जान पाएंगे इस युद्ध के होने के कारण, दोनों पक्षों की तरफ से शहीद हुए जवानों की संख्या, भारतीय सेना की जीत ऐसी ही कुछ अन्य पहलू जो इस युद्द से जुड़े हुए है।क्या है कारगिल युद्ध की समयरेखा?3 मई, 1999 - कारगिल में स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना को क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों के बारे में सचेत किया।5 मई, 1999 - पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के कम से कम पांच जवानों की हत्या कर दी।9 मई, 1999 - पाकिस्तानी सेना द्वारा कारगिल में भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो को निशाना बनाकर भारी गोलाबारी की गई।10 मई, 1999 - पाकिस्तानी सेना के जवान और आतंकवादी नियंत्रण रेखा के पार द्रास और काकसर सेक्टर में घुस गए। उसी दिन, भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' लॉन्च किया।26 मई, 1999 - भारतीय वायु सेना को हवाई हमले करने के लिए बुलाया गया। कई घुसपैठियों का सफाया कर दिया गया। 1 जून, 1999 - फ्रांस और अमेरिका ने भारत के खिलाफ सैन्य अभियान के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।5 जून, 1999 - भारत ने पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता का खुलासा करते हुए एक डोजियर जारी किया।9 जून, 1999 - भारतीय सेना के जवानों ने बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख स्थानों पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।13 जून, 1999 - भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल का दौरा किया। उसी दिन भारतीय सेना ने तोलोलिंग चोटी पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।4 जुलाई, 1999 - भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा कर लिया।5 जुलाई 1999 - नवाज़ शरीफ़ ने कारगिल से पाकिस्तानी सेना की वापसी की घोषणा की।12 जुलाई, 1999- पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।26 जुलाई, 1999 - भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली सभी चौकियों पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया। 'ऑपरेशन विजय' को सफल घोषित किया गया।क्या था कारगिल युद्ध का इतिहास? रिकार्ड के मुताबिक कारगिल युद्ध की शुरुआत मई 1999 में हुई थी, पाकिस्तानी सेना और कश्मीरी आतंकवादियों का सीमा रेखा पार कर कारगिल पर्वतमाला के शीर्ष पर कब्जा कर लेने से यह युद्ध शुरू हुआ था। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान ने 1998 की शरद ऋतु में ही इस ऑपरेशन की योजना बना ली थी। इस युद्ध से पहले ही तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने और कश्मीर विवाद को हल करने के उद्देश्य से फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर की बस यात्रा की थी। लाहौर में, प्रधानमंत्री वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच बातचीत, व्यापार संबंधों और संबंधों को बेहतर बनाने को लेकर लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत ने घुसपैठ का जवाब देने के लिए 5 पैदल सेना डिवीजन, 5 स्वतंत्र ब्रिगेड और अर्धसैनिक बलों की 44 बटालियनों को युद्ध क्षेत्र में स्थानांतरित किया था। अगर कुल संख्या की बात करें तो सभी को मिलाकर लगभग 730,000 भारतीय सैनिकों की इस क्षेत्र में तैनाती की गई थी। घुसपैठियों को बाहर भगाने के लिए तत्कालीन भारतीय सेना के जनरल वी पी मलिक की लीडरशिप में जून 1999 में ''ऑपरेशन विजय'' शुरू किया गया जो तीन महीने से अधिक समय तक चला। ऑपरेशन विजय की शुरुआत कैसे हुई? भारतीय सेना को स्थानीय लोगों के जरिए मई में घुसपैठ का पता लगा। वे स्थानीय गुर्जर पशुपालक थे जो घुसपैठ वाली पर्वत श्रृंखलाओं में रहते आए थे और वे गर्मियों में पहाड़ी पर मवेशियों को चराया करते थे। उन सभी ने मुख्यालय 121 इन्फैंट्री ब्रिगेड को घुसपैठियों की उपस्थिति की सर्वप्रथम सूचना दी थी। यह घुसपैठ पाकिस्तान की उत्तरी लाइट इन्फैंट्री (NLI) के नियमित पाकिस्तानी सैनिकों की मदद से की गई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारी तादाद में सैनिक, तोपें और साजो सामान भेजे और भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन विजय' का नाम दिया। पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा ऊंची पहाड़ियों से श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग पर नजर रखी जा रही थी और घुसपैठियों को इन चोटियों से निकाल फेकने के लिय चलाया गया ऑपरेशन विजय मई में शुरू होकर जुलाई 1999 में पूरा किया गया था।कैसे भारतीय सेना ने की जवाबी कार्रवाई?बताया जाता है कि भारतीय सेना को नियंत्रण रेखा को पार न करने का आदेश दिया गया था। इसके कारण भारतीय सेना के सामने विकल्प बहुत सीमित रह गए थे। यह टास्क कठिन था लेकिन असंभव नहीं। भारत के लिए सबसे पहले खुशखबरी तब आई जब सेना ने 13 जून 1999 को कई हफ्तों की लड़ाई के बाद द्रास उप-क्षेत्र में टोलोलिंग पर तिरंगा वापस फहरा दिया, यह पहली पहाड़ी थी जिसे सेना द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठियों के चंगुल से छुड़ाया गया था। सेना ने लगातार सभी युद्ध क्षेत्रों में एक सौ से अधिक तोपखाने बंदूकें, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों की मदद से निरंतर गोलीबारी की थी।जब टोलोलिंग भारत के कब्जे में वापस आ गया जिससे टाइगर हिल की चोटी पर अलग अलग दिशाओं से हमला करने का रास्ता खुल गया और 4 से 5 जुलाई, 1999 के बीच भारतीय सेना के वीर जवानों और अफसरों ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा कर लिया गया। टाइगर हिल के पश्चिम में टाइगर हिल की एक और प्रमुख विशेषता मश्कोह घाटी पर 7 जुलाई 1999 पर पुनः कब्जा कर लिया गया। सेना ने उच्च ऊंचाई पर आर्टिलरी ऑब्जर्वेशन पोस्ट (OP) स्थापित किए गए और लगातार दिन-रात दुश्मन पर आर्टिलरी फायर किए गए जिसकी मदद से बटालिक सेक्टर, पॉइंट 5203 और खालुबार पर पुनः कब्ज़ा कर लिया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कारगिल संघर्ष के दौरान भारतीय तोपखाने ने 250,000 से अधिक गोले, बम और रॉकेट दागे थे। प्रतिदिन 300 मोर्टार और मल्टी बैरल रॉकेट लांचर (MBRL) से लगभग 5,000 गोले, मोर्टार बम और रॉकेट दागे गए। यह भी कहा जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में सबसे अधिक गोलीबारी कारगिल युद्ध में हुई थी। कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना की क्या भूमिका थी?भारतीय वायु सेना ने कारगिल युद्ध में के ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सफेद सागर रखा था इसके दौरान वायु सेना ने लगभग 50 दिनों में सभी प्रकार की लगभग 5000 उड़ानें भरी थीं। कारगिल के सबसे पास श्रीनगर और अवंतीपुरा और पंजाब के जालंधर जिले में स्थित आदमपुर हवाई अड्डा भी मदद देने के लिए काफी करीब थी। इसलिए, वायु सेना ने इन्हीं तीन हवाई अड्डों का उपयोग किया। घुसपैठियों पर ज़मीनी हमले को अंजाम देने के लिए मिग-21 आई, मिग-23 एस, मिग-27 एस, जगुआर और मिराज-2000 का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा MI-17 को हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट के लिए 4 रॉकेट पॉड ले जाने के लिए संशोधित किया गया था और यह पाकिस्तानी बंकरों और सैनिकों को उलझाने में प्रभावी साबित हुआ। भारतीय सीमा से पाकिस्तानी सुविधाओं पर किए गए हमलों में भी कई आपूर्ति लाइनें, रसद अड्डे और दुश्मन के मजबूत ठिकाने नष्ट किए गए थे। परिणामस्वरूप, भारतीय सेना ने तेजी से और सफल तरीके से अपना अभियान चलाया। कारगिल संघर्ष के दौरान LOC को थोड़ा पार करने के भारतीय वायुसेना के अनुरोध को तत्कालीन सरकार ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था। दोनों पक्षों के कितने जवानों मारे गए?मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल युद्ध की साजिश तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा रची गई थी और इसके बारे में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी नहीं थी। दोनों देशों के तीन महिने चले इस संघर्ष में भारत की तरफ से युद्ध में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 527 और पाकिस्तान की ओर से मरने वालों की संख्या 453 बताई गई है। किसे मिला था कारगिल युद्ध में बहादुरी पुरस्कार? कारगिल युद्ध के दौरान सेना के कई ऐसे वीर अफसर और सैनिक रहे जिन्होंने इस संघर्ष में शहीद हो गए, वैसे जंग में कोई एक हीरो नहीं होता, युद्ध हमेशा सभी के योगदान से जीती जाता है, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनकी बहादुरी, साहस और जुनून आने वाली पीढ़ियों को देश भक्ति के लिए प्रेरित कर देती हैं और इनमें से 4 ऐसे वीर हैं जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए सर्वोच्च पुरुस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया। इन चारों में से दो अपने कर्तव्य का निर्वाहन करते ही शहीद हो गए और दो अभी भी जीवित हैं। उनके नाम हैं:कारगिल युद्ध भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐसी घटना थी जिसे पहली बार देश की इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने देश के कोने कोने तक पहुंचाया और लोगों को पता चला कि कितने बलिदानों और कठिनाइयों के बाद सेना ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की। इसके बाद देश की सुरक्षा को लेकर सबक सीखे गये कि देश की सीमाओं को सुरक्षित रखकर और खुद को अपडेट रखकर और दुश्मनों की रणनीतिक और सैन्य मानसिकता को समझना था।
https://hindi.sputniknews.in/20230126/ganatantr-divas-par-puurv-sainik-adhikaarii-ne-kaargil-yuddh-se-sambandhit-kahaanii-bataaii-649937.html
भारत
लद्दाख
जम्मू और कश्मीर
पाकिस्तान
दिल्ली
इस्लामाबाद
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
2023
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
खबरें
hi_IN
Sputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e7/08/07/3448257_20:0:1609:1192_1920x0_80_0_0_89e02295e87d92466826833538c9d250.jpgSputnik भारत
feedback.hindi@sputniknews.com
+74956456601
MIA „Rossiya Segodnya“
धीरेंद्र प्रताप सिंह
https://cdn1.img.sputniknews.in/img/07e6/0c/13/135790_0:0:719:720_100x100_80_0_0_8e4e253a545aa4453ae659b236312d73.jpg
1999 का कारगिल युद्ध किसने जीता था, कारगिल युद्ध कितने दिनों तक चला था, कारगिल युद्ध में किसकी जीत हुई थी, कारगिल युद्ध की जीत को क्या नाम दिया गया, कारगिल युद्ध कब हुआ था, कारगिल युद्ध के परिणाम लिखिए, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची pdf, कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता, कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के नाम, कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना के जनरल कौन थे, कारगिल युद्ध माहिती मराठी, कारगिल युद्ध स्मारक कहां स्थित है, कारगिल युद्ध के हीरो, कारगिल युद्ध कितने दिन चला था, कारगिल युद्ध पर निबंध, कारगिल युद्ध – फोटो, कारगिल युद्ध कहां हुआ था, कारगिल युद्ध कब हुआ था, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची pdf, कारगिल युद्ध में कितने जवान शहीद हुए थे, kargil war, vikram batra, कारगिल युद्ध, कारगिल युद्ध कब हुआ, कारगिल युद्ध के हीरो, कारगिल युद्ध क्यों हुआ, कारगिल युद्ध कब हुआ था, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची pdf, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची, कारगिल युद्ध - फोटो, कारगिल युद्ध की पूरी कहानी pdf, कारगिल युद्ध की पूरी कहानी
1999 का कारगिल युद्ध किसने जीता था, कारगिल युद्ध कितने दिनों तक चला था, कारगिल युद्ध में किसकी जीत हुई थी, कारगिल युद्ध की जीत को क्या नाम दिया गया, कारगिल युद्ध कब हुआ था, कारगिल युद्ध के परिणाम लिखिए, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची pdf, कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता, कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के नाम, कारगिल युद्ध के समय भारतीय सेना के जनरल कौन थे, कारगिल युद्ध माहिती मराठी, कारगिल युद्ध स्मारक कहां स्थित है, कारगिल युद्ध के हीरो, कारगिल युद्ध कितने दिन चला था, कारगिल युद्ध पर निबंध, कारगिल युद्ध – फोटो, कारगिल युद्ध कहां हुआ था, कारगिल युद्ध कब हुआ था, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची pdf, कारगिल युद्ध में कितने जवान शहीद हुए थे, kargil war, vikram batra, कारगिल युद्ध, कारगिल युद्ध कब हुआ, कारगिल युद्ध के हीरो, कारगिल युद्ध क्यों हुआ, कारगिल युद्ध कब हुआ था, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची pdf, कारगिल युद्ध के शहीदों की सूची, कारगिल युद्ध - फोटो, कारगिल युद्ध की पूरी कहानी pdf, कारगिल युद्ध की पूरी कहानी
1999 में कारगिल युद्ध किसने जीता?
कारगिल युद्ध में सैनिकों के बलिदान की याद में हर साल 26 जुलाई को भारत में कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। श्रीनगर से लेह तक जाने वाले मुख्य राजमार्ग के किनारे पर कारगिल युद्ध स्मारक स्थित है। इसका निर्माण नवंबर 2014 में भारतीय सेना द्वारा किया गया था।
भारत 15 अगस्त को अपना 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, भारत के इतिहास का यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है जब सारा देश अपने अपने तरीके से इसे मनाता है। इस दिन लोग भारत की स्वतंत्रता और देश की सुरक्षा करते हुए जिन जबाजों ने कुर्बानी दी उनको याद करते हैं।
ऐसा ही एक युद्ध सन 1999 मैं लड़ा गया
भारत और पाकिस्तान के बीच जिसे हम कारगिल युद्ध के नाम से जानते हैं, भारत की 76वीं स्वतंत्रता दिवस पर हम याद कर रहे हैं कारगिल युद्ध को जिसमें 400 से ज्यादा जवान भारतीय सीमा की सुरक्षा करते शहीद हो गए थे।
कारगिल का युद्ध भारतीय सेना के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती के रूप में जाना जाता है, यह एक ऐसा टास्क था जिस पर जीत पाने के लिए सेना के कई वीर ऑफिसर और जवानों ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया। इस युद्ध में जीत के लिए सेना के तीनों अंगों ने प्रमुख भूमिका निभाई जिससे पड़ोसी देश पकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा।
वैसे तो जम्मू कश्मीर में स्थित कारगिल अक्सर शांत रहता है और ज्यादातर अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है लेकिन साल 1999 में यह दो देशों
भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का गवाह बना।
1999 में कारगिल-द्रास सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों से भारतीय क्षेत्रों को वापस लेने के लिए भारतीय सेना द्वारा '
ऑपरेशन विजय' शुरू किया गया था।
भारत ने भारतीय सेना के मिशन '
ऑपरेशन विजय' और वायु सेना के मिशन 'ऑपरेशन सफेद सागर' की मदद से सफलता हासिल की। भारत और पाकिस्तान के बीच का संघर्ष तब शुरू हुआ जब
पाकिस्तान की ओर से घुसपैठियों ने
लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार कर कारगिल जिले में ऊंची जगहों पर कब्जा कर लिया।
भारतीय सेना को इस कब्जे के बारे में जानकारी सबसे पहले 3 मई को मिली। इस संघर्ष के शुरुआत में सभी को लगा की जो घुसपैठिये भारतीय सीमा में दाखिल हुए हैं वे कुछ जिहादी हैं लेकिन जैसे-जैसे आक्रमण का व्यापक स्तर बढ़ता गया वैसे-वैसे पाकिस्तान की भूमिका को नकारना संभव नहीं था।
संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य देशों द्वारा इजरायल को उन हथियारों की खेप की डिलीवरी में देरी करने के लिए मजबूर किया गया था, जिसका ऑर्डर युद्ध से पहले दिया गया था। हालांकि,
इजराइल ने ऑर्डर तुरंत वितरित कर दिया था और इजराइल इकलौता ऐसा देश था जिसने मोर्टार और गोला-बारूद के जरिए भारत की सहायता की। इजरायल ने भारत को अपने लड़ाकू विमानों और निगरानी ड्रोनों के लिए लेजर-निर्देशित मिसाइल भी प्रदान की।
Sputnik आज आपको बताने जा रहा है भारत और पाकिस्तान के बीच 20वीं सदी के आखिरी संघर्ष के बारे में, जिससे आप जान पाएंगे इस युद्ध के होने के कारण, दोनों पक्षों की तरफ से शहीद हुए जवानों की संख्या, भारतीय सेना की जीत ऐसी ही कुछ अन्य पहलू जो इस युद्द से जुड़े हुए है।
क्या है कारगिल युद्ध की समयरेखा?
3 मई, 1999 - कारगिल में स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना को क्षेत्र में पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों के बारे में सचेत किया।
5 मई, 1999 - पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के कम से कम पांच जवानों की हत्या कर दी।
9 मई, 1999 - पाकिस्तानी सेना द्वारा कारगिल में भारतीय सेना के गोला-बारूद डिपो को निशाना बनाकर भारी गोलाबारी की गई।
10 मई, 1999 - पाकिस्तानी सेना के जवान और आतंकवादी नियंत्रण रेखा के पार द्रास और काकसर सेक्टर में घुस गए। उसी दिन, भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' लॉन्च किया।
26 मई, 1999 - भारतीय वायु सेना को हवाई हमले करने के लिए बुलाया गया। कई घुसपैठियों का सफाया कर दिया गया।
1 जून, 1999 - फ्रांस और अमेरिका ने भारत के खिलाफ सैन्य अभियान के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।
5 जून, 1999 - भारत ने पाकिस्तानी सेना की संलिप्तता का खुलासा करते हुए एक डोजियर जारी किया।
9 जून, 1999 - भारतीय सेना के जवानों ने बटालिक सेक्टर में दो प्रमुख स्थानों पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।
13 जून, 1999 - भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल का दौरा किया। उसी दिन भारतीय सेना ने तोलोलिंग चोटी पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।
4 जुलाई, 1999 - भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा कर लिया।
5 जुलाई 1999 - नवाज़ शरीफ़ ने कारगिल से पाकिस्तानी सेना की वापसी की घोषणा की।
12 जुलाई, 1999- पाकिस्तानी सैनिकों को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा।
26 जुलाई, 1999 - भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाली सभी चौकियों पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया। 'ऑपरेशन विजय' को सफल घोषित किया गया।
क्या था कारगिल युद्ध का इतिहास?
रिकार्ड के मुताबिक कारगिल युद्ध की शुरुआत मई 1999 में हुई थी, पाकिस्तानी सेना और
कश्मीरी आतंकवादियों का सीमा रेखा पार कर कारगिल पर्वतमाला के शीर्ष पर कब्जा कर लेने से यह युद्ध शुरू हुआ था। ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान ने 1998 की शरद ऋतु में ही इस ऑपरेशन की योजना बना ली थी।
इस युद्ध से पहले ही तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को सामान्य बनाने और
कश्मीर विवाद को हल करने के उद्देश्य से फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर की बस यात्रा की थी। लाहौर में, प्रधानमंत्री वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच बातचीत, व्यापार संबंधों और संबंधों को बेहतर बनाने को लेकर लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे।
भारत ने घुसपैठ का जवाब देने के लिए 5 पैदल सेना डिवीजन, 5 स्वतंत्र ब्रिगेड और अर्धसैनिक बलों की 44 बटालियनों को युद्ध क्षेत्र में स्थानांतरित किया था। अगर कुल संख्या की बात करें तो सभी को मिलाकर लगभग 730,000 भारतीय सैनिकों की इस क्षेत्र में तैनाती की गई थी। घुसपैठियों को बाहर भगाने के लिए तत्कालीन भारतीय सेना के जनरल वी पी मलिक की लीडरशिप में जून 1999 में ''ऑपरेशन विजय'' शुरू किया गया जो तीन महीने से अधिक समय तक चला।
ऑपरेशन विजय की शुरुआत कैसे हुई?
भारतीय सेना को स्थानीय लोगों के जरिए मई में घुसपैठ का पता लगा। वे स्थानीय गुर्जर पशुपालक थे जो घुसपैठ वाली पर्वत श्रृंखलाओं में रहते आए थे और वे गर्मियों में पहाड़ी पर मवेशियों को चराया करते थे। उन सभी ने मुख्यालय 121 इन्फैंट्री ब्रिगेड को घुसपैठियों की उपस्थिति की सर्वप्रथम सूचना दी थी।
यह घुसपैठ पाकिस्तान की उत्तरी लाइट इन्फैंट्री (NLI) के नियमित पाकिस्तानी सैनिकों की मदद से की गई थी। इसके जवाब में भारतीय सेना ने
पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भारी तादाद में सैनिक, तोपें और साजो सामान भेजे और भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन विजय' का नाम दिया।
पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा ऊंची पहाड़ियों से श्रीनगर-कारगिल-लेह राजमार्ग पर नजर रखी जा रही थी और घुसपैठियों को इन चोटियों से निकाल फेकने के लिय चलाया गया ऑपरेशन विजय मई में शुरू होकर जुलाई 1999 में पूरा किया गया था।
कैसे भारतीय सेना ने की जवाबी कार्रवाई?
बताया जाता है कि भारतीय सेना को
नियंत्रण रेखा को पार न करने का आदेश दिया गया था। इसके कारण भारतीय सेना के सामने विकल्प बहुत सीमित रह गए थे। यह टास्क कठिन था लेकिन असंभव नहीं।
भारत के लिए सबसे पहले खुशखबरी तब आई जब सेना ने 13 जून 1999 को कई हफ्तों की लड़ाई के बाद द्रास उप-क्षेत्र में टोलोलिंग पर तिरंगा वापस फहरा दिया, यह पहली पहाड़ी थी जिसे सेना द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठियों के चंगुल से छुड़ाया गया था।
सेना ने लगातार सभी युद्ध क्षेत्रों में एक सौ से अधिक तोपखाने बंदूकें, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों की मदद से निरंतर गोलीबारी की थी।
जब टोलोलिंग भारत के कब्जे में वापस आ गया जिससे टाइगर हिल की चोटी पर अलग अलग दिशाओं से हमला करने का रास्ता खुल गया और 4 से 5 जुलाई, 1999 के बीच
भारतीय सेना के वीर जवानों और अफसरों ने टाइगर हिल पर पुनः कब्जा कर लिया गया। टाइगर हिल के पश्चिम में टाइगर हिल की एक और प्रमुख विशेषता मश्कोह घाटी पर 7 जुलाई 1999 पर पुनः कब्जा कर लिया गया।
सेना ने उच्च ऊंचाई पर आर्टिलरी ऑब्जर्वेशन पोस्ट (OP) स्थापित किए गए और लगातार दिन-रात दुश्मन पर आर्टिलरी फायर किए गए जिसकी मदद से बटालिक सेक्टर, पॉइंट 5203 और खालुबार पर पुनः कब्ज़ा कर लिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कारगिल संघर्ष के दौरान भारतीय तोपखाने ने 250,000 से अधिक गोले, बम और रॉकेट दागे थे। प्रतिदिन 300 मोर्टार और मल्टी बैरल रॉकेट लांचर (MBRL) से लगभग 5,000 गोले, मोर्टार बम और रॉकेट दागे गए। यह भी कहा जाता है कि
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से
दुनिया में सबसे अधिक गोलीबारी कारगिल युद्ध में हुई थी।
कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना की क्या भूमिका थी?
भारतीय वायु सेना ने कारगिल युद्ध में के ऑपरेशन का नाम ऑपरेशन सफेद सागर रखा था इसके दौरान वायु सेना ने लगभग 50 दिनों में सभी प्रकार की लगभग 5000 उड़ानें भरी थीं।
कारगिल के सबसे पास श्रीनगर और अवंतीपुरा और पंजाब के जालंधर जिले में स्थित आदमपुर हवाई अड्डा भी मदद देने के लिए काफी करीब थी। इसलिए, वायु सेना ने इन्हीं तीन हवाई अड्डों का उपयोग किया। घुसपैठियों पर ज़मीनी हमले को अंजाम देने के लिए
मिग-21 आई, मिग-23 एस, मिग-27 एस, जगुआर और मिराज-2000 का इस्तेमाल किया गया था।
इसके अलावा MI-17 को हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट के लिए 4 रॉकेट पॉड ले जाने के लिए संशोधित किया गया था और यह पाकिस्तानी बंकरों और सैनिकों को उलझाने में प्रभावी साबित हुआ।
भारतीय सीमा से पाकिस्तानी सुविधाओं पर किए गए हमलों में भी कई आपूर्ति लाइनें, रसद अड्डे और दुश्मन के मजबूत ठिकाने नष्ट किए गए थे। परिणामस्वरूप, भारतीय सेना ने तेजी से और सफल तरीके से अपना अभियान चलाया।
कारगिल संघर्ष के दौरान LOC को थोड़ा पार करने के भारतीय वायुसेना के अनुरोध को तत्कालीन सरकार ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया था।
"प्रधानमंत्री वाजपेयी अपनी कुर्सी पर सीधे खड़े हो गए और दृढ़ता से कहा, 'कृपया एलओसी पार न करें"।
"एलओसी पार नहीं करेंगे," तत्कालीन वायुसेना प्रमुख ए वाई टिपनिस ने बाद में याद करते हुए मीडिया से कहा।
दोनों पक्षों के कितने जवानों मारे गए?
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कारगिल युद्ध की साजिश तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा रची गई थी और इसके बारे में पाकिस्तान के तत्कालीन
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी नहीं थी। दोनों देशों के तीन महिने चले इस संघर्ष में भारत की तरफ से युद्ध में मरने वालों की आधिकारिक संख्या
527 और पाकिस्तान की ओर से मरने वालों की संख्या
453 बताई गई है।
किसे मिला था कारगिल युद्ध में बहादुरी पुरस्कार?
कारगिल युद्ध के दौरान सेना के कई ऐसे वीर अफसर और सैनिक रहे जिन्होंने इस संघर्ष में शहीद हो गए, वैसे जंग में कोई एक हीरो नहीं होता, युद्ध हमेशा सभी के योगदान से जीती जाता है, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिनकी बहादुरी, साहस और जुनून आने वाली पीढ़ियों को देश भक्ति के लिए प्रेरित कर देती हैं और इनमें से 4 ऐसे वीर हैं जिन्हें उनकी बहादुरी के लिए सर्वोच्च पुरुस्कार परमवीर चक्र से नवाजा गया। इन चारों में से दो अपने कर्तव्य का निर्वाहन करते ही शहीद हो गए और दो अभी भी जीवित हैं। उनके नाम हैं:
कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र, मरणोपरांत) (13 जेएके राइफल्स)
कैप्टन मनोज कुमार पांडे (परमवीर चक्र, मरणोपरांत) (1/11 गोरखा राइफल्स)
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (परमवीर चक्र) (18 ग्रेनेडियर्स)
राइफलमैन संजय कुमार (परमवीर चक्र) (13 JAK Rif)
कारगिल युद्ध
भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐसी घटना थी जिसे पहली बार देश की इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया ने देश के कोने कोने तक पहुंचाया और लोगों को पता चला कि कितने बलिदानों और कठिनाइयों के बाद सेना ने पाकिस्तान पर विजय हासिल की।
इसके बाद देश की सुरक्षा को लेकर सबक सीखे गये कि देश की सीमाओं को सुरक्षित रखकर और खुद को अपडेट रखकर और दुश्मनों की रणनीतिक और सैन्य मानसिकता को समझना था।