भारत-रूस संबंध
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जैसे-जैसे ब्रिक्स का विस्तार हो रहा है, वैश्विक पुनर्संतुलन की प्रवृत्ति और भी मजबूत होगी: लवरोव

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के अपने पांच दिवसीय दौरे पर हैं, साल खत्म होने से पहले इस दौरे को दोनों देशों के नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Sputnik
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव के बीच बुधवार को द्विपक्षीय बैठक सम्पन्न हुई, इस बैठक के बाद दोनों नेताओं ने मिलकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया।

रूस के विदेश मंत्री लवरोव ने Sputnik के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि रूस भारत का दृष्टिकोण साझा करता है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पश्चिम के प्रति विश्वास टूट गया है, इसलिए आज हमारे पास वैश्विक आर्थिक विकास में वैश्विक बहुमत की भूमिका पर भरोसा करने के और भी अधिक कारण हैं।

"हम अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों की विकृति, साथ ही मुक्त बाजार सिद्धांतों, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उन सिद्धांतों के उल्लंघन को स्वीकार नहीं करते हैं जो पश्चिम द्वारा प्रचारित वैश्वीकरण प्रणाली की नींव हैं। वे आसानी से उन पिछले तंत्रों को छोड़ सकते हैं जो कथित तौर पर संपूर्ण मानवता के हितों की सेवा कर रहे थे," लवरोव ने कहा।

रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने Sputnik संवाददाता के वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के पुनर्संतुलन के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था तथा वित्त में ताकत के पुनर्संतुलन की एक निश्चित प्रवृत्ति है।
उनके अनुसार, इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप ग्लोबल साउथ और ग्लोबल ईस्ट के देशों की हिस्सेदारी बढ़ जाती है, और ग्लोबल नॉर्थ की हिस्सेदारी कम हो जाती है।

"परंपरागत रूप से, उत्तर G-7 और उसके निकटतम सहयोगियों के साथ जुड़ा रहा है। यह वस्तुनिष्ठ सांख्यिकीय डेटा है। जैसे-जैसे ब्रिक्स समूह का विस्तार हो रहा है, यह प्रवृत्ति और भी मजबूत होगी। विस्तारित ब्रिक्स की जीडीपी, जी-7 द्वारा दिखाए गए आंकड़ों से काफी [बड़ी] होगी। जैसा कि पहले बताया गया है, वैश्विक अर्थव्यवस्था में यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है," रूस के विदेश मंत्री सर्गे लवरोव ने कहा।

विदेश मंत्री जयशंकर की साल के अंत में रूस की महत्वपूर्ण यात्रा अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर रूस के साथ संबंधों को कम करने के लिए दबाव डालने के प्रयासों की पृष्ठभूमि में हो रही है
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