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पश्चिम ने किया कश्मीर को अपने भूराजनीतिक एजेंडे के हिस्से के रूप में प्रयोग, जयशंकर ने की आलोचना

1947 में ब्रिटिश राज गढ़ने के बाद से ही कश्मीर भारत और पाकिस्तान के मध्य विवाद की जड़ रहा है। भारत ने बार-बार दावा किया है कि पश्चिमी देश कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ दे रहे हैं।
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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एशिया में अपने भू-राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कश्मीर का इस्तेमाल करने के लिए पश्चिम पर कटाक्ष किया है। राजनयिक का मानना है कि इस नीति का उद्देश्य इस मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाना है।

उन्होंने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान कहा, “हमें उन देशों के एक समूह ने धोखा दिया था, जिन्होंने अपने भू-राजनीतिक एजेंडे और कश्मीर में असुरक्षा के मुद्दे का इस्तेमाल किया। अनुच्छेद 370 पर निर्णय में हमें कई दशक लग गए। अनुच्छेद 370 का न केवल देश के भीतर, बल्कि विदेश नीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ा।”

उन्होंने अपनी बात में जोड़ते हुए कहा, 1970 के दशक तक बहुत स्पष्ट हो गया था कि कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में ले जाना मूलभूत त्रुटि थी। क्योंकि मुद्दे को ऐसी अदालत में ले जाया गया जहां जज आपके विरुद्ध खड़े हैं। पश्चिमी देशों का झुकाव पाकिस्तान की तरफ था।
अगस्त 2019 में भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिससे पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ गया। इस्लामाबाद ने नई दिल्ली के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत के साथ राजनयिक संबंध तोड़ दिए।
भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना उसका आंतरिक मामला था और उसकी सीमाओं के अंदर जो कुछ भी होता है, उसका पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है।
पिछले माह भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी केंद्र सरकार के निर्णय को यथावत् रखा।
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