"इस साल 2024 में आम चुनाव के समय बहुत जबरदस्त संभावनाएं हैं कि AI का दुरूपयोग कर मतदाताओं की मानसिकता को प्रभावित करने का प्रयास किया जा सके। [...] इसलिए अत्यंत आवश्यक है कि सरकार ठोस कदम उठाए ताकि AI और डीपफेक का दुरूपयोग भारत के विरुद्ध न किया जा सके। क्योंकि अगर [वे] इसके द्वारा भारत की चुनावी प्रक्रिया में दखलअंदाजी करने का प्रयास करेंगे तब वे संभावित स्तर पर भारत की संप्रभुता, अखंडता या सुरक्षा को भी प्रभावित करने की क्षमता रख सकते हैं," डॉ दुग्गल ने Sputnik India को बताया।
"भारत में कानूनी प्रावधान उपलब्ध नहीं है जिससे डीपफेक के दुरूपयोग को नियंत्रण करने की दिशा में कारगर सिद्ध हो। डीपफेक भारत के आईटी एक्ट्स या आईटी रूल में परिभाषित नहीं है। और समस्या इसलिए भी बढ़ जाती है कि भारत के पास AI को रेगुलेट करने का कानून विद्यमान नहीं है। इसलिए, लोग लगातार डीपफेक का प्रयोग करेंगे। अब वह समय चला गया जब लोग डीपफेक का प्रयोग सिर्फ आनंद और मनोरंजन के लिए ही इस्तेमाल करेंगे। अब इसे एक महत्वपूर्ण औजार के रूप में प्रयोग कर लक्ष्यबद्ध निशाना किया जाएगा," साइबर विशेषज्ञ ने रेखांकित किया।
"अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्टेट और नॉन-स्टेट भागीदार दोनों ही चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की संभावना रख सकते हैं। उसका कारण बहुत स्पष्ट है कि विगत कुछ समय में राजनीतिक स्थिति बहुत बदल गई है। अब भारत न मात्र सबसे बड़ा प्रजातंत्र है बल्कि विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र बन चुका है। साथ ही भारत विश्व का सबसे बड़ा ई-मार्केट प्लेस भी बनने वाला है। इस सन्दर्भ में चुनावी प्रक्रिया में दखल कर नियंत्रण पाना स्टेट या नॉन स्टेट भागीदार का उद्देश्य होगा। और, ऐसे प्रयास लगातार किये जाएंगे इसलिए भारत के निर्वाचन आयोग का दायित्व और बढ़ जाता है कि वे कारगर कदम उठाएं ताकि इस तकनीक के दुरूपयोग से भारत की प्रभुता, अखंडता और सुरक्षा नकारात्मक रूप से प्रभावित न हो सके," डॉ दुग्गल ने टिप्पणी की।