1964 में जब भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अचानक मौत हो गई थी तब लाल बहादुर शास्त्री ने देश की बागडोर संभाली थी। उनके द्वारा देश के जवानों और किसानों को लेकर दिया गया नारा "जय जवान जय किसान" आज भी लोगों की जुबान पर है।
शास्त्री जी अपने सौम्य व्यवहार और विनम्रता के लिए जाने जाते थे। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक छोटे से रेलवे शहर मुगलसराय में एक स्कूल शिक्षक के घर हुआ था। हालांकि, उन्होंने महज डेढ़ वर्ष की उम्र में अपने पिताजी को खो दिया, जिसके बाद उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं।
हाईस्कूल की शिक्षा को पुरा करने के लिए शास्त्री जी को वाराणसी में एक चाचा के यहाँ भेज दिया गया।
हाईस्कूल की शिक्षा को पुरा करने के लिए शास्त्री जी को वाराणसी में एक चाचा के यहाँ भेज दिया गया।
शास्त्री जी ने आजादी में योगदान कैसे दिया?
बताया जाता है कि वे जैसे-जैसे युवावस्था की ओर बढ़ रहे थे, उनका रुझान भी ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष की ओर बढ़ता चला गया। वे महात्मा गांधी से प्रेरित होकर महज 16 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।
राजनीतिक करियर कैसा था शास्त्री जी का?
आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई, और जवाहर लाल नेहरू ने देश के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। लाल बहादुर शास्त्री को अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। वे 1951 में नई दिल्ली आ गए एवं केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेल, परिवहन एवं संचार, वाणिज्य एवं उद्योग, गृह मंत्री जैसे कई विभागों का प्रभार संभाला एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे।
अपने मंत्रालय के कामकाज के दौरान भी वे कांग्रेस पार्टी से संबंधित मामलों को देखते रहे एवं उसमें अपना भरपूर योगदान दिया।
अपने मंत्रालय के कामकाज के दौरान भी वे कांग्रेस पार्टी से संबंधित मामलों को देखते रहे एवं उसमें अपना भरपूर योगदान दिया।
भारत के प्रधानमंत्री कैसे बने शास्त्री जी?
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की 27 मई, 1964 को कार्यालय में मृत्यु हो गई, जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री को कांग्रेस पार्टी ने देश की जिम्मेदारी सौंप दी।
लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ। 1965 के युद्ध के दौरान लाल बहादुर शास्त्री के नारे 'जय जवान, जय किसान' ने भोजन की कमी के बीच सैनिकों के साथ-साथ किसानों का भी मनोबल बढ़ाया। भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, शास्त्री ने 1965 में भारत में हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया।
प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल केवल 19 महीनों का था। 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में उनका निधन हो गया।