भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने फरवरी में लॉन्च किये जाने वाले INSAT-3DS सैटेलाइट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह उपग्रह इन्सैट श्रृंखला का हिस्सा है, जो मौसमपूर्वानुमान क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान देगा।
इसरो अब अपने अधिक उन्नत रॉकेट, जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी-एफ14) पर INSAT-3DS उपग्रह को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें तरल प्रणोदक का उपयोग किया जाता है।
अंतरिक्ष एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि प्रक्षेपण फरवरी के पहले सप्ताह में किया जा सकता है।
क्या है INSAT-3DS?
INSAT-3DS मिशन जलवायु वेधशाला उपग्रहों की श्रृंखला के एक भाग के रूप में भारत मौसम विज्ञान संगठन (IMD) के उपग्रहों को ले जाएगा।
जीएसएलवी रॉकेट की क्षमता अधिक है, और यह अपने सभी तीन चरणों के लिए क्रायोजेनिक तरल प्रणोदक का उपयोग करता है। तरल ईंधन का यह उपयोग अधिक जटिल इंजीनियरिंग बनाता है, लेकिन यह बहुत अधिक भार उठाने में सक्षम होता है।
इसके बाद आने वाले महीनों में इसरो का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान है। इसका उद्देश्य तीन सदस्यों के एक दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में लॉन्च करके और उन्हें सुरक्षित वापस लाकर इसरो की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करना है।