"निःसंदेह, यह स्पष्ट है कि कनाडा को भारी नुकसान होगा लेकिन भारत को भी नुकसान हो सकता है। [...] केवल एक ही पार्टी को नुकसान नहीं होगा, साथ ही यह केवल हमारे हाथों में है कि हम व्यापार और समझौते में किस तरह बढ़ाना चाहते हैं," भारत के पूर्व राजदूत के.पी फैबियन ने Sputnik India से कहा।
"जिन विद्यार्थियों ने कनाडा में दाखिला ली हुई है उन्हें तो विवशता में जाना ही पड़ेगा, परंतु जो नए विद्यार्थी हैं वे ऐसा कोई भी जगह नहीं जाना चाहेंगे जहां उन्हें भारत विरोधी तत्व मिले। कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जो अंग्रेजी भाषित देश हैं, वहाँ बहुत विद्यार्थी जाते हैं परंतु भारत विरोधी घटनाएँ बढ़ने से इस बार कनाडा में भारतीय विद्यार्थीयों की मांग बहुत कम हो जाएगी, और दूसरे देश विकल्प के स्तर पर लोग देखना शुरू कर देंगे," गोयल ने Sputnik India को बताया।
क्या रूस एक विकल्प हो सकता है?
"रूस जैसे देशों के यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी माध्यम के कोर्स अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अगर ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध हों तो विद्यार्थी बहुत संख्या में रूस आसानी से जा सकते हैं," गोयल ने Sputnik India को बताया।
"कनाडा के राष्ट्रपति के चुनावों की फन्डिंग खालिस्तानियों द्वारा की गई थी और चुनावों में समर्थन भी किया था। तो उसकी राजनीतिक विवशता है, जिसके चलते वहाँ कि सरकार खालिस्तानियों पर कार्यवाई नहीं कर रही है। आज के समय में खालिस्तानियों ने वहाँ की सरकार को जकड़े हुए है, जिसके चलते वह उनके विरुद्ध कोई कदम उठा नहीं सकती," गोयल ने कहा।