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कनाडा के स्थान पर रूस भारतीय छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है: विशेषज्ञ
कनाडा के स्थान पर रूस भारतीय छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है: विशेषज्ञ
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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2023 की चौथी तिमाही के दौरान कनाडा में भारतीय छात्रों को अध्ययन परमिट जारी करने में 86% की कमी आई है।
2024-01-21T11:42+0530
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भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी मुद्दे को लेकर बढ़ते विवाद के बीच जानकारों का मानना है कि भारतीय छात्रों का कनाडा कम जाने का असर कनाडा की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और भारतीय छात्र दूसरे देशों का रुख कर सकते हैं।2022 में, भारतीय छात्रों ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मध्य कनाडाई अर्थव्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो कुल 22.3 बिलियन डॉलर में से 10.2 बिलियन डॉलर था। लेकिन हाल के दिनों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में भारत विरोधी संगठनों द्वारा प्रदर्शन किये जा रहे हैं, जिस कारणवश वहाँ पढ़ने के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या में बहुत अधिक कमी देखी गई है।इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की पर्यटन समिति के अध्यक्ष सुभाष गोयल ने Sputnik India को बताया कि कनाडा लगातार खालिस्तानी संगठनों के हरकतों को अनदेखा कर रही है जिससे वहाँ बहुत सारे भारतीय विद्यार्थीयों में डर का वातावरण बना रहता है, जिससे लोग दूसरे देश विकल्प के स्तर पर देखना आरंभ कर देंगे।क्या रूस एक विकल्प हो सकता है?रूस एक अच्छा विकल्प हो सकता है, उदाहरण के लिए, ईस्टर्न यूरोप में मेडिकल साइंस के लिए बहुत से छात्र जाते हैं, गोयल ने कहा। भारत ने कई बार कनाडा सरकार को खालिस्तानियों पर कार्रवाई करने की मांग की। कुछ दिनों पूर्व ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खालिस्तानी ग्रुप पर अपने दृष्टिकोण को सही ठहराने का प्रयास करता है।
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भारत-कनाडा के तनाव, भारतीय छात्रों का अध्ययन, भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, पर वार्ता, भारत और कनाडा के बीच संबंध, निराधार गलतफहमियां, भारतीय छात्र समाचार, भारतीय छात्र विदेश में
भारत-कनाडा के तनाव, भारतीय छात्रों का अध्ययन, भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, पर वार्ता, भारत और कनाडा के बीच संबंध, निराधार गलतफहमियां, भारतीय छात्र समाचार, भारतीय छात्र विदेश में
कनाडा के स्थान पर रूस भारतीय छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है: विशेषज्ञ
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 2023 की चौथी तिमाही के दौरान कनाडा में भारतीय छात्रों को अध्ययन परमिट जारी करने में 86% की कमी आई है, जो पिछली तिमाही की तुलना में 108,940 से 14,910 परमिट तक रह गई।
भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी मुद्दे को लेकर बढ़ते विवाद के बीच जानकारों का मानना है कि भारतीय छात्रों का कनाडा कम जाने का असर कनाडा की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और भारतीय छात्र दूसरे देशों का रुख कर सकते हैं।
2022 में, भारतीय छात्रों ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के मध्य
कनाडाई अर्थव्यवस्था में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो कुल 22.3 बिलियन डॉलर में से 10.2 बिलियन डॉलर था। लेकिन हाल के दिनों में
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में भारत विरोधी संगठनों द्वारा प्रदर्शन किये जा रहे हैं, जिस कारणवश वहाँ पढ़ने के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या में बहुत अधिक कमी देखी गई है।
"निःसंदेह, यह स्पष्ट है कि कनाडा को भारी नुकसान होगा लेकिन भारत को भी नुकसान हो सकता है। [...] केवल एक ही पार्टी को नुकसान नहीं होगा, साथ ही यह केवल हमारे हाथों में है कि हम व्यापार और समझौते में किस तरह बढ़ाना चाहते हैं," भारत के पूर्व राजदूत के.पी फैबियन ने Sputnik India से कहा।
इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स की पर्यटन समिति के अध्यक्ष सुभाष गोयल ने Sputnik India को बताया कि कनाडा लगातार खालिस्तानी संगठनों के हरकतों को अनदेखा कर रही है जिससे वहाँ बहुत सारे भारतीय विद्यार्थीयों में डर का वातावरण बना रहता है, जिससे लोग दूसरे देश विकल्प के स्तर पर देखना आरंभ कर देंगे।
"जिन विद्यार्थियों ने कनाडा में दाखिला ली हुई है उन्हें तो विवशता में जाना ही पड़ेगा, परंतु जो नए विद्यार्थी हैं वे ऐसा कोई भी जगह नहीं जाना चाहेंगे जहां उन्हें भारत विरोधी तत्व मिले। कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जो अंग्रेजी भाषित देश हैं, वहाँ बहुत विद्यार्थी जाते हैं परंतु भारत विरोधी घटनाएँ बढ़ने से इस बार कनाडा में भारतीय विद्यार्थीयों की मांग बहुत कम हो जाएगी, और दूसरे देश विकल्प के स्तर पर लोग देखना शुरू कर देंगे," गोयल ने Sputnik India को बताया।
क्या रूस एक विकल्प हो सकता है?
रूस एक अच्छा विकल्प हो सकता है, उदाहरण के लिए, ईस्टर्न यूरोप में मेडिकल साइंस के लिए बहुत से छात्र जाते हैं, गोयल ने कहा।
"रूस जैसे देशों के यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी माध्यम के कोर्स अन्तराष्ट्रीय स्तर पर अगर ज्यादा से ज्यादा उपलब्ध हों तो विद्यार्थी बहुत संख्या में रूस आसानी से जा सकते हैं," गोयल ने Sputnik India को बताया।
भारत ने कई बार कनाडा सरकार को
खालिस्तानियों पर कार्रवाई करने की मांग की। कुछ दिनों पूर्व ही
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कनाडा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर खालिस्तानी ग्रुप पर अपने दृष्टिकोण को सही ठहराने का प्रयास करता है।
"कनाडा के राष्ट्रपति के चुनावों की फन्डिंग खालिस्तानियों द्वारा की गई थी और चुनावों में समर्थन भी किया था। तो उसकी राजनीतिक विवशता है, जिसके चलते वहाँ कि सरकार खालिस्तानियों पर कार्यवाई नहीं कर रही है। आज के समय में खालिस्तानियों ने वहाँ की सरकार को जकड़े हुए है, जिसके चलते वह उनके विरुद्ध कोई कदम उठा नहीं सकती," गोयल ने कहा।