भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि ब्रिटिश शासकों ने हिंदू धर्म की ऑर्थडाक्सी और "सामाजिक कुरीतियों" के कारण भारतीय समाज को खराब रोशनी में दिखाने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रणाली समय की मांग है। भारतीय प्रधानमंत्री ने गुजरात के मोरबी जिले के टंकारा में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के जन्म स्थान पर उनकी 200 वीं जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम को अनलाइन संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की।
उन्होंने कहा कि “हमारी सामाजिक कुरीतियों को मोहरा बनाकर अंग्रेजी हुकूमत हमें नीचा दिखाने की कोशिश करती थी। सामाजिक बदलाव का हवाला देकर तब कुछ लोगों द्वारा अंग्रेजी राज को सही ठहराया जाता था।" मोदी ने यह भी कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती ने उस समय भारतीयों को दिखाया था कि कैसे उनकी रूढ़िवादिता और सामाजिक कुरीतियों ने उन्हें क्षतिग्रस्त किया था और समाज में महिलाओं के लिए समान अधिकारों की वकालत की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा, “देश अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से इसका विस्तार कर रहा है। समाज को इन प्रयासों से जोड़ना हमारा उत्तरदायित्व है।”
स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को टंकारा में हुआ था और उन्होंने अपना पूरा जीवन वैदिक ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपने विचारों और संदेशों के माध्यम से समाज को समृद्धि, स्वतंत्रता और समानता के लिए प्रेरित किया था।