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विशेषज्ञ से जानें कि मिनिकॉय द्वीप समूह में प्रस्तावित नौसैनिक अड्डा गेम-चेंजर क्यों होगा?

लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप समूह को अपग्रेड करने का कदम न केवल वाणिज्यिक शिपिंग की रक्षा करेगा, बल्कि द्वीप क्षेत्रों में पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।
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HT की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने अपनी समुद्री सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए अगत्ती और मिनिकॉय द्वीपों पर नौसैनिक अड्डे बनाने का फैसला किया है।
लक्षद्वीप और मिनिकॉय द्वीप दोनों नौ डिग्री चैनल पर स्थित हैं, जहाँ से दक्षिण-पूर्व एशिया और उत्तरी एशिया के रास्ते में अरबों डॉलर का वाणिज्यिक व्यापार गुजरता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 4 से 5 मार्च के बीच नौसेना बेस आईएनएस जटायु का उद्घाटन करने के लिए नौसेना के अधिकारियों के साथ मिनिकॉय द्वीप समूह की यात्रा करेंगे।
भारतीय नौसेना की गोवा से कारवार, मिनिकॉय द्वीप और फिर कोच्चि तक दो भारतीय विमान वाहक युद्धपोतों पर यात्रा करने के दौरान संयुक्त कमांडर सम्मेलन के पहले चरण को आयोजित करने की योजना है। कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का दूसरा चरण 6-7 मार्च को होगा।
Sputnik भारत ने भारतीय नौसेना में कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त और रक्षा विशेषज्ञ डी के शर्मा से बात की तब उन्होंने बताया कि इतने बड़े स्तर पर अड्डे बनाने के लिए बहुत बड़े क्षेत्र का अधिग्रहरण किया जाएगा।

डी के शर्मा ने कहा, "भारत अगर अगत्ती और मिनिकॉय में नौसैनिक अड्डे बनाएगा, तब भारत के सुरक्षा दृष्टिकोण से यह बहुत फायदेमंद साबित होगा। हम वहां रडार लगा सकते हैं जिससे दुश्मनों की किसी भी हलचल का जल्दी से जल्दी पता लगाने में सक्षम होंगे।"

इसमें आगे कहा गया है कि मोदी सरकार ने मिनिकॉय द्वीप समूह में नई हवाई पट्टी बनाने के साथ साथ आईएनएस जटायु में नौसैनिक साजो सामान को तैनात करने का निर्णय लिया है तथा अगत्ती द्वीप समूह में हवाई पट्टी को अपग्रेड करने का भी फैसला किया है।
इससे पहले भारत पहले से ही ग्रेट निकोबार में कैंपबेल खाड़ी में नई सुविधाओं के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।
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कहां है मिनिकॉय द्वीप समूह जिसमें प्रस्तावित सैन्य अड्डा भारत के लिए होगा निर्णायक?
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