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भारतीय नौसेना के लिए ₹19,000 करोड़ के ब्रह्मोस मिसाइलों के मेगा सौदे को कैबिनेट की मंजूरी

Visitors walk past an Indian Brahmos anti-ship missile at the International Maritime Defence show in St.Petersburg, Russia, Thursday, July 11, 2019
ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड का गठन 1998 में भारत के रक्षा अनुसंधान DRDO और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में किया गया था। यह कंपनी मुख्य रूप से दुनिया की सबसे तेज क्रूज़ मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली के डिजाइन, विकास, उत्पादन और विपणन के लिए उत्तरदायी है।
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सुरक्षा की कैबिनेट समिति (CCS) ने युद्धपोतों पर तैनाती के लिए 200 से अधिक ब्रह्मोस विस्तारित-रेंज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों की खरीद को मंजूरी दे दी है। इस खरीद के बाद भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बहुत ताकत मिलेगी, भारतीय मीडिया ने अधिकारियों के हवाले से कहा।
रिपोर्ट के अनुसार यह प्रस्तावित अधिग्रहण सौदा लगभग ₹19,000 करोड़ का बताया गया है, जिसको देर शाम समिति की एक बैठक में मंजूरी दी गई। बहुराष्ट्रीय एयरोस्पेस और रक्षा निगम ब्रह्मोस एयरोस्पेस और रक्षा मंत्रालय के बीच इस अनुबंध पर मार्च के पहले सप्ताह में हस्ताक्षर होने की संभावना है।
भारत ने बड़े स्तर पर ब्रह्मोस मिसाइल पर स्वदेशीकरण किया है और आगे भी अधिक भागों का स्वदेशीकरण किया जा रहा है। भारत ने इस मिसाइल प्रणाली का निर्यात करना भी शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों का निर्यात शुरू किया है, इसके लिए दोनों देशों के बीच लगभग 375 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बलों को और मजबूत बनाने के लिए 15 समुद्री निगरानी विमान खरीदने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी थी।
India's supersonic Brahmos cruise missiles
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