जनरल पांडे ने उल्लेख किया कि सेना 2025 तक 230 अनुबंधों को पूरा करने के लिए 340 स्वदेशी रक्षा उद्योगों के साथ सहयोग कर रही है, जिसमें 2.5 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय शामिल है।
सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा, "भारत का रक्षा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होना अत्यंत आवश्यक है। नए हथियार प्लेटफार्मों को प्राप्त करना, मौजूदा को बनाए रखना, गोला-बारूद और रखरखाव की मांगों को पूरा करने में सक्षम होना और महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता हासिल करना जरूरी है।"
इसके अलावा उन्होंने भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और पारंपरिक सेनाओं के आकार और ताकत पर नई प्रौद्योगिकियों के प्रभाव के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
गौरतलब है कि भारत सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का समर्थन करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें औद्योगिक लाइसेंसिंग का सरलीकरण, विनियमन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए प्रोत्साहन शामिल है। अन्य उपायों में "सकारात्मक स्वदेशीकरण" सूचियों की घोषणा, आयुध कारखानों का निगमीकरण और दो रक्षा गलियारों की स्थापना शामिल है।