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भारतीय सेना की पुराने टैंकों को आधुनिक लड़ाकू वाहनों से बदलने की योजना
भारतीय सेना की पुराने टैंकों को आधुनिक लड़ाकू वाहनों से बदलने की योजना
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12 लाख सैनिकों की क्षमता वाली भारतीय सेना अपने मौजूदा टैंकों के महत्वपूर्ण उन्नयन और भविष्य की लड़ाइयों के लिए नई पीढ़ी के टैंकों को शामिल करने की तैयारी कर रही है।
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टैंक आक्रामक और रक्षात्मक दोनों अभियानों के लिए आवश्यक हैं, जो बड़े पैमाने पर जमीनी लड़ाई के लिए गतिशीलता, मारक क्षमता और बख्तरबंद सुरक्षा प्रदान करते हैं, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के हवाले से भारतीय मीडिया ने कहा।सेना इस साल अनुमानित 57,000 करोड़ रुपये की मेगा परियोजना के लिए अनुरोध प्रस्ताव (RFP) जारी करने का इरादा रखती है। इस परियोजना का लक्ष्य पुराने टैंकों को बदलने के लिए भारत में 1,770 फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) का उत्पादन करना है।गौरतलब है कि सेना ने अब तक 1,200 T-90S 'भीष्म' टैंक शामिल किए हैं, और इस साल, 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंकों में से पहले पांच को शामिल करेगी। मारक क्षमता, गतिशीलता, सहनशक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए इन टैंकों में 14 बड़े और 57 छोटे सुधार किए गए हैं।इसके अलावा, सेना ने प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत लगभग 17,500 करोड़ रुपये की लागत से 354 स्वदेशी लाइट टैंक शामिल करने की योजना बनाई है। ये टैंक उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इनमें 25 टन से कम वजन, बेहतर मारक क्षमता और सुरक्षा हैं।
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भारतीय सेना की पुराने टैंकों को आधुनिक लड़ाकू वाहनों से बदलने की योजना
भारतीय सेना, जिसमें 12 लाख सैनिक शामिल हैं, अपने मौजूदा टैंकों में महत्वपूर्ण वृद्धि और भविष्य में संघर्षों से निपटने के लिए नई पीढ़ी के टैंकों को शामिल करने की तैयारी कर रही है।
टैंक आक्रामक और रक्षात्मक दोनों अभियानों के लिए आवश्यक हैं, जो बड़े पैमाने पर जमीनी लड़ाई के लिए गतिशीलता, मारक क्षमता और बख्तरबंद सुरक्षा प्रदान करते हैं, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के हवाले से भारतीय मीडिया ने कहा।
“टैंक आक्रामक और रक्षात्मक दोनों अभियानों के लिए प्रासंगिक बने हुए हैं। हमारी भविष्य की टैंक परियोजनाएं विशेष रूप से हवाई खतरों के खिलाफ जीवित रहने की क्षमता के साथ-साथ संचार क्षमताओं को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। नई पीढ़ी के ये टैंक ड्रोन तथा हवाई हमलों से सुरक्षित रहने के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्र की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेंगे," वरिष्ठ अधिकारी ने स्थानीय मीडिया को बताया।
सेना इस साल अनुमानित 57,000 करोड़ रुपये की मेगा परियोजना के लिए अनुरोध प्रस्ताव (RFP) जारी करने का इरादा रखती है। इस परियोजना का लक्ष्य पुराने टैंकों को बदलने के लिए भारत में 1,770
फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) का उत्पादन करना है।
"इस आधुनिक लड़ाकू वाहन में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन एकीकरण, सक्रिय सुरक्षा प्रणाली, उच्च स्तर की स्थितिजन्य जागरूकता और मानवयुक्त-मानवरहित टीम बनाने की क्षमता शामिल करने के लिए विशिष्ट प्रौद्योगिकियां होंगी। यह नेटवर्क-केंद्रित वातावरण में भूमि और वायु के सभी घटकों के साथ तालमेल और एकीकरण करने में सक्षम होगा," अन्य अधिकारी के हवाले से स्थानीय मीडिया ने कहा।
गौरतलब है कि सेना ने अब तक 1,200 T-90S 'भीष्म' टैंक शामिल किए हैं, और इस साल, 118 स्वदेशी अर्जुन मार्क-1ए टैंकों में से पहले पांच को शामिल करेगी।
मारक क्षमता, गतिशीलता, सहनशक्ति और सुरक्षा बढ़ाने के लिए इन टैंकों में 14 बड़े और 57 छोटे सुधार किए गए हैं।
इसके अलावा, सेना ने
प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत लगभग 17,500 करोड़ रुपये की लागत से 354 स्वदेशी लाइट टैंक शामिल करने की योजना बनाई है। ये टैंक उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और इनमें 25 टन से कम वजन, बेहतर मारक क्षमता और सुरक्षा हैं।