भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन 'गगनयान' की प्रगति के बारे में जानने के लिए मंगलवार को तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) पहुंचे, जहाँ उन्होंने गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाने के लिए चुने गए भारतीय अंतरिक्ष यात्रीयों के नाम बताए।
"जहाँ भारत दुनिया की टॉप-3 इकोनॉमी बनने के लिए तैयार है, वहीं देश का गगनयान भी हमारे स्पेस सेक्टर को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला है। 40 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है। लेकिन इस बार समय भी हमारा है, उल्टी गिनती भी हमारी है और रॉकेट भी हमारा है," प्रधानमंत्री मोदी ने कहा।
इस दल में ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। पीएम मोदी ने इन सभी नामित अंतरिक्ष यात्रीयों को अंतरिक्ष यात्री पंख भी प्रदान किए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दल में शामिल पायलटों ने 2020 में रूस में ट्रेनिंग पूरी की थी। भारत लौटने के बाद उन्होंने प्रशिक्षण जारी रखा।
रिपोर्ट के मुताबिक अंतिम मिशन से पहले गगनयान परीक्षणों की श्रृंखला की योजना बनाई गई है। वर्तमान में, इसरो तीन गैर-चालक दल मिशनों - LVM3-G1, LVM3-G2 और व्योममित्र (ह्यूमनॉइड) मिशन पर काम कर रहा है जो एक दूसरे से स्वतंत्र हैं।
इसके साथ भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के भविष्य के मिशनों के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से कहा कि आप सभी भविष्य की संभावनाओं के नए द्वार खोल रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने अनुमान के मुताबिक बताया कि भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में पांच गुना बढ़कर 4 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।
"भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में वैश्विक वाणिज्यिक केंद्र बन रहा है। आने वाले दिनों में भारत एक बार फिर चांद पर जाएगा। इसके अलावा शुक्र ग्रह भी रडार पर है। इसके साथ साथ 2035 तक भारत के पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। इस अमृत काल में, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री एक भारतीय रॉकेट से चंद्रमा पर उतरेगा," उन्होंने कहा।