"व्यापारिक तौर पर हम जो भी सामान खरीद या बेच रहे है उसमें हमें दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। हमारे ईरान से कूटनीतिक तौर पर बहुत अच्छे संबंध हैं चाहे हम चाबहार पोर्ट या जाहेदान रेलवे लिंक की बात करें। ईरान से हम तेल का भी आयात करते हैं। वहीं दूसरी तरफ इज़राइल से हमारे अच्छे संबंध हैं। इसके अलावा मध्य पूर्व में हमारे लोग बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं। और अगर यह युद्ध में तब्दील हो गया तो भारत पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ेगा," पूर्व राजनयिक गोयल ने कहा।
गोयल ने बताया, "आगे देखना होगा कि दोनों देशों का क्या रुख रहता है। जिन चीजों का हम आयात करते हैं उनके लिए हम अन्य विकल्प तलाश कर सकते हैं। लेकिन यह अभी बहुत दूर की बात है। लेकिन फिर भी हमारे ऊपर इस संघर्ष का प्रभाव पड़ेगा और उस खतरे के लिए हमें तैयार रहना होगा।"
"दोनों ने तनाव कम करने पर जोर दिया है। रूस और सऊदी अरब दोनों देश अच्छी तरह से जानते हैं कि मध्य पूर्व में संघर्ष ज्यादा दिनों तक नहीं चलना चाहिए, और हम उनकी बात का समर्थन करते हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय दिक्कतों के लिए वहाँ मौजूद देशों को पहल करनी होगी और हम उनका समर्थन करें वही एक अच्छा तरीका रहेगा," उन्होंने अंत में कहा।