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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चुनावों के बीच किया सियाचिन दौरा, सुरक्षा तैयारियों का लिया जायजा

रक्षा मंत्री ने 15,100 फीट की ऊंचाई पर एक अग्रिम चौकी पर उतरकर सियाचिन ग्लेशियर में परिचालन तैयारी और मौजूदा सुरक्षा स्थिति की पूरी जानकारी ली। इसके साथ साथ उन्होंने जमीनी स्तर पर कमांडरों के साथ परिचालन चुनौतियों पर भी चर्चा की।
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भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को क्षेत्र में रक्षा स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करने के लिए दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन का दौरा किया।
इस दौरान मंत्री सिंह ने कठिन मौसम में इलाके की परिस्थितियों में तैनात सैनिकों से भी बातचीत की। इस मौके पर उनके साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, उत्तरी कमान लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिन्द्र कुमार और जनरल ऑफिसर कमांडिंग 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशीम बाली मौजूद थे।

सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने विषम परिस्थितियों में वीरता और दृढ़ संकल्प के साथ मातृभूमि की रक्षा के पुण्य पथ पर चलने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र सशस्त्र बल कर्मियों का सदैव ऋणी रहेगा, क्योंकि उनके बलिदान के कारण हर नागरिक सुरक्षित महसूस करता है।

राजनाथ सिंह ने जवानों को संबोधित करते हुए कहा, हम शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं क्योंकि हमें आश्वासन है कि हमारे बहादुर सैनिक सीमाओं पर दृढ़ता से खड़े हैं। आने वाले समय में, जब राष्ट्रीय सुरक्षा का इतिहास लिखा जाएगा, तो बर्फीले ठंडे ग्लेशियर में हमारे सैनिकों की बहादुरी और दृढ़ इच्छाशक्ति के कार्यों को गर्व के साथ याद किया जाएगा। यह भावी पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।"

रक्षा मंत्री ने सियाचिन को कोई सामान्य भूमि नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी, मुंबई वित्तीय राजधानी और बेंगलुरु प्रौद्योगिकी राजधानी है, सियाचिन साहस, धैर्य और दृढ़ संकल्प की राजधानी है।
देश ने हाल ही में ऑपरेशन मेघदूत की सफलता की 40वीं वर्षगांठ मनाई। राजनाथ सिंह ने 13 अप्रैल, 1984 को सियाचिन में भारतीय सेना द्वारा शुरू किये गये ऑपरेशन को देश के सैन्य इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय बताया।

सिंह ने कहा, ''ऑपरेशन मेघदूत की सफलता हम सभी के लिए गर्व की बात है।"

इस अवसर पर रक्षा मंत्री ने मातृभूमि की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में सियाचिन युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।
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