यह उपलब्धि 2,000 kN थ्रस्ट सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो इसरो के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3) की पेलोड क्षमता को बढ़ाने और भविष्य के लॉन्च वाहनों को शक्ति प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
दरअसल इसरो के तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) द्वारा विकसित किया जा रहा अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन, तरल ऑक्सीजन (LOX) और परिष्कृत केरोसिन (इस्रोसेन) के प्रणोदक संयोजन का उपयोग करता है। इस इंजन को नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) सहित इसरो के आगामी लॉन्च वाहनों को भारी-लिफ्ट क्षमता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
इसरो ने एक बयान में कहा, "तरल रॉकेट इंजन प्रणालियों के विकास में इग्निशन प्रक्रिया सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है। सेमी-क्रायो प्री-बर्नर के सफल प्रज्वलन के साथ, सेमी-क्रायो इंजन विकास में एक प्रमुख मील का पत्थर हासिल किया गया है।"
जारी बयान के अनुसार, इग्निशन एक स्टार्ट फ्यूल एम्प्यूल का उपयोग करके प्राप्त किया गया था। यह पहली बार है कि इस तकनीक को इसरो के सेमी-क्रायोजेनिक इंजन विकास में नियोजित किया गया है।
ISRO Successfully Conducts Ignition Test to Boost LVM3 Rocket Capacity
© Photo : X/@ISROSpaceflight
सफल प्री-बर्नर इग्निशन परीक्षण विकास के अगले चरण का मार्ग प्रशस्त करता है, जिसमें इंजन पावरहेड और पूरी तरह से एकीकृत इंजन का परीक्षण शामिल है।
इसरो ने कहा, "इसके अलावा 120 टन प्रणोदक लोडिंग के साथ सेमी-क्रायो चरण का विकास भी प्रगति पर है।"
बता दें कि सफल इग्निशन परीक्षण भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए उन्नत प्रणोदन प्रणाली के विकास में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में इसरो की यात्रा में एक महत्वपूर्ण सफलता है।
गौरतलब है कि LVM3 लॉन्च व्हीकल का निर्माण इसरो के महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम से संबंधित मिशनों को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है।