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गोला-बारूद के लिए भारत बनेगा आत्मनिर्भर, 2026 तक आयात को शून्य करने की योजना

गोला-बारूद से जुड़े स्वदेशी उद्योगों ने सभी मांगों को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ा दी है और यहां तक कि वैश्विक बाजार का एक बड़ा हिस्सा हासिल करने के लिए तैयार है।
Sputnik
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय सेना अगले वित्तीय वर्ष से सेना की जरूरत के लिए गोला-बारूद के सभी आयात को रोकने पर विचार कर रही है।
भारतीय सेना कुछ साल पहले तक वार्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर थी। इसी आयात को कम करने के लिए सेना ने पहले से ही उपयोग में आने वाले 175 तरह के गोला-बारूद में से 150 के लिए स्वदेशी स्रोत ढूंढ लिए हैं, जबकि उसका लक्ष्य 2025-26 तक आयात पर निर्भरता को पूरी तरह से खत्म करना है।

मेजर जनरल वीके शर्मा, एडीजी (खरीद), भारतीय सैन्य अधिकारी ने पीएचडी चैंबर द्वारा गोला-बारूद उत्पादन पर आयोजित एक सेमिनार में बोलते हुए कहा, "अगले वित्तीय वर्ष में हम गोला-बारूद का कोई आयात नहीं करेंगे। उन मामलों को छोड़कर जहां मात्रा बहुत कम है और उद्योगों के लिए उनका उत्पादन करना किफायती नहीं है।"

उन्होंने कहा कि सेना वर्तमान में सालाना 6000-8000 करोड़ रुपये मूल्य का गोला-बारूद खरीद रही है, जिसकी पूर्ति अब भारतीय स्रोतों से की जाएगी।
पिछले कुछ वर्षों में कई निजी क्षेत्र के खिलाड़ी भी इस क्षेत्र में उतरे हैं, देश के विभिन्न हिस्सों में नए गोला-बारूद संयंत्र खुल रहे हैं। सेना का मानना है कि बढ़ती क्षमता को देखते हुए भारतीय कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी बड़ी खिलाड़ी बन सकती हैं।

मेजर जनरल शर्मा ने कहा, "जहां तक दुनिया की मांग का सवाल है, 30 अरब डॉलर से अधिक का बाजार उपलब्ध है। वर्तमान में भारतीय स्रोतों से 1% भी नहीं आ रहा है। हमारे पास अगले 4-5 वर्षों में 5-10% तक पहुंचने की क्षमता है और भविष्य में शायद 25-30% तक।"

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