LSEG (लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप) कंपनी रिफाइनिटिव के ऊर्जा विशेषज्ञ अर्पित चांदना ने Sputnik भारत से बातचीत करते हुए कहा कि रूस की योजना 2030-35 तक वैश्विक तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) बाजार का लगभग 20 प्रतिशत प्रदान करने की है। यह दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था में बढ़ती गैस मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा सुरक्षा की भारत की खोज के साथ मेल खाती है।
“रूस ने 2030-2035 तक वैश्विक LNG बाजार का 20 प्रतिशत हिस्सा हासिल करने की योजना बनाई है, जबकि वर्तमान में इसकी हिस्सेदारी लगभग 8 प्रतिशत है। LNG आर्कटिक परियोजनाओं को JSC नोवाटेक द्वारा निष्पादित किया जा रहा है,“ अर्पित चांदना ने नवीनतम रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा।
विशेषज्ञ ने इस बात पर जोर दिया कि फरवरी 2022 में पश्चिमी प्रतिबंध लागू होने के बाद से भारत रूस के लिए “सबसे मजबूत ऊर्जा व्यापार भागीदार” के रूप में उभरा है। उन्होंने आगे कहा कि उन्हें आश्चर्य नहीं होगा अगर रूस के आर्कटिक क्षेत्र से तरलीकृत LNG भी भारतीय टर्मिनलों तक पहुंच जाए।
रूस के पास दुनिया के सबसे बड़े प्राकृतिक भंडार हैं और आर्कटिक क्षेत्र में खोजे जा रहे विशाल गैस भंडारों से LNG पावरहाउस के रूप में इसकी स्थिति और मजबूत होने वाली है। प्रतिबंधों के कारण यूरोप को मास्को से पाइप लाइन के माध्यम से गैस निर्यात को रोकने के बावजूद भी रूस अमेरिका के बाद दुनिया में LNG का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
2022 की यूक्रेन संकट की शुरुआत के बाद से रूस का एशिया-प्रशांत पर आर्थिक फोकस बढ़ा है और नोवाटेक का लक्ष्य वर्ष के अंत तक रूस की आर्कटिक LNG -2 अर्थात यमल, सखालिन-1 और सखालिन-2 सहित अन्य परियोजनाओं से एशियाई बाजारों में गैस का निर्यात शुरू करना है।
गिडा प्रायद्वीप में स्थित आर्कटिक LNG-2 परियोजना में फ्रांस की टोटल एनर्जीज, चीन नेशनल ऑफशोर ऑयल कॉरपोरेशन (CNOOC), चीन नेशनल पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (CNPC) और जापान आर्कटिक LNG ने निवेश किया है।
उन्होंने आगे कहा कि रूस से प्राकृतिक गैस आपूर्ति करने के लाभों में से एक है कि यह फ्री ऑन बोर्ड (FOB) आधार पर की जाती है, जिसका मतलब यह है कि आपूर्तिकर्ता माल ढुलाई, बीमा और अन्य लागतों को उठाता है।
2023 नवंबर में अमेरिकी ट्रेजरी ने LNG 2 परियोजना के डेवलपर के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। इस महीने विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) ने परियोजना से जुड़े दो टैंकर बेड़े सिंगापुर की रेड बॉक्स एनर्जी सर्विसेज और हांगकांग की सीएफयू शिपिंग को भी प्रतिबंधित कर दिया।
भारत-रूस LNG सहयोग कैसे हो रहा है?
द्विपक्षी दस्तावेज़ों के अनुसार, हाइड्रोकार्बन सहयोग भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के लिए महत्त्वपूर्ण है।
2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी LNG निर्यात को और इस क्षेत्र में दोतरफा निवेश बढ़ावा देने के लिए पांच साल के रोडमैप (2019-2024) पर हस्ताक्षर किए।
इस रोडमैप के तहत दोनों पक्षों ने भारत को LNG आपूर्ति को बढ़वा देने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे के विकास में मदद प्रदान करने के माध्यम से भारत में गैस वितरण बाजार को विकसित करने के लिए JSC नोवाटेक के रुझान का ‘स्वागत’ किया।
यह उल्लेखनीय है कि भारत-रूस के पहले LNG सौदे पर हस्ताक्षर 2012 में गेल (इंडिया) लिमिटेड (भारतीय गैस प्राधिकार लिमिटेड) और गज़प्रोम के बीच किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, 20 वर्ष के लिए अनुबंध के तहत नई दिल्ली को उत्तरी समुद्री मार्ग (NSR) के माध्यम से 2018 में रूस से पहली LNG आपूर्ति मिली।
ज्ञात है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा LNG व्यापार स्तर भारत के अन्य देशों से LNG आयात की तुलना में न्यूनतम है।
अर्पित चांदना ने कहा, "भारत-रूस LNG व्यापार को आगे बढ़ाने में एकमात्र चुनौती भारतीय पक्ष की ओर से आपूर्ति पक्ष की बाधाएं हैं, जिसमें अधिक LNG टर्मिनल और पूरे देश में वितरण बुनियादी ढांचे का विकास करना शामिल है।"
विशेषज्ञ ने बताया कि भारत का प्रस्तावित लक्ष्य देश के ऊर्जा मिश्रण में LNG की हिस्सेदारी को वर्तमान के लगभग 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 2030 तक 15 प्रतिशत पहुंचना है, जिसके लिए अधिक टर्मिनल क्षमता की आवश्यकता होगी। वर्तमान में यह टर्मिनल क्षमता लगभग 42 अरब क्यूबिक मीटर है।
आजकल भारत में LNG की आपूर्ति सात टर्मिनलों से की जा रही हैं, जो दहेज, हजीरा, दाभोल, कोच्चि, एन्नोर और मुंद्रा में स्थित हैं। वहाँ परिवहन से पहले तरलीकृत गैस को गैस में परिवर्तित किया जाता है।
अर्पित चांदना ने रेखांकित किया कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड अपनी एन्नोर-तूतीकोरिन पाइपलाइन को चालू करने के साथ-साथ 2025 तक पूर्वोत्तर गैस ग्रिड योजना को चालू करने की योजना बना रहा है। विशेषज्ञ के अनुसार इन परियोजनाओं से ‘घरेलू पुनः गैसीकरण क्षमताओं’ को बढ़ावा मिलेगा।
भारत के LNG बाजार की गतिशीलता
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण सेल (PPAC) द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत का LNG आयात 31 अरब क्यूबिक मीटर या 31,028 मिलियन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (MMSCM) से अधिक रहा।
2023 में भारतीय LNG की खपत लगभग 59,969 MMSCM थी और LNG की आधी से भी कम मांग घरेलू उत्पादन के माध्यम से पूरी की गई। नई दिल्ली विश्व में LNG का चौथा सबसे बड़ा आयातक है।
इस सप्ताह जारी किए गए अप्रैल महीने के PPAC आंकड़ों के अनुसार, उर्वरक क्षेत्र में LNG उपयोग का 28 प्रतिशत हिस्सा था, शहरी गैस वितरण (CGD) में 20 प्रतिशत, विद्युत क्षेत्र में 16 प्रतिशत तथा रिफाइनरियों और पेट्रोलियम में 11 प्रतिशत हिस्सा था।
भारत में LNG का आयात या तो दीर्घकालिक अनुबंधों या वैश्विक सूचकांकों के आधार पर हाजिर खरीद (ST) के माध्यम से किया जाता है।
2004 से कतर भारत को LNG का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना रहा है, जो देश की कुल प्राकृतिक गैस जरूरतों का लगभग आधा हिस्सा प्रदान करता है। कतर एनर्जी और भारत की पेट्रोनेट LNG ने इस साल 2028-2048 की अवधि के लिए सालाना 7.5 MMSCM की आपूर्ति के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं।
ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका भारत के अन्य प्रमुख LNG आपूर्तिकर्ताओं में से हैं।