रूस ने विश्व का सबसे पहला ग्राउंड-बेस्ड कामिकेज़ रोबोट बनाया है, जिसका नाम "डेपेशा" (डिस्पैच) है, जिसे जॉयस्टिक और FPV हेलमेट का उपयोग करके नियंत्रित किया जाता है।
रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन की प्रेस सेवा ने कहा कि मशीन को शत्रु के सैन्यशक्ति और उपकरणों के साथ-साथ किलेबंदी पर आक्रमण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि "हाई प्रिसिजन कॉम्प्लेक्स होल्डिंग (रोस्टेक का हिस्सा) ने मल्टी-फंक्शनल रोबोट कॉम्प्लेक्स डेपेशा और बग्गी विकसित किए हैं। डेपेशा रोबोट को ट्रैक किए गए प्लेटफ़ॉर्म पर रखा गया है और इसे जॉयस्टिक और एफपीवी हेलमेट का उपयोग करके ऑपरेटर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। बग्गी रोबोट में पहिएदार प्लेटफ़ॉर्म है और इसे जॉयस्टिक और टैबलेट द्वारा नियंत्रित किया जाता है। दोनों रोबोटों को रोबोट द्वारा लक्ष्य तक ले जाए गए पेलोड को विस्फोट करके शत्रु के ठिकानों पर आक्रमण करने के लिए ग्राउंड कामिकेज़ ड्रोन के रूप में उपयोग किया जा सकता है।"
इन मशीनों की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में कॉम्पैक्टनेस, गतिशीलता और पेलोड निहित हैं। डेपेशा में 150 किलोग्राम का पेलोड है और बग्गी ड्रोन में 250 किलोग्राम है, जो उन्हें फ्रंट लाइन पर सैनिकों के लिए विश्वसनीय सहायक बनाता है।
रोबोट के विभिन्न संस्करणों का उपयोग शत्रु की जनशक्ति, पिलबॉक्स, गढ़वाले फायरिंग पॉइंट और गढ़ जैसे किलेबंदी पर आघात करने के लिए किया जा सकता है।
इनका उपयोग ड्रैगन के दांतों जैसी रक्षात्मक बाधाओं को दूर करने और उन्हें साफ़ करने के लिए भी किया जा सकता है, जिससे बख्तरबंद वाहनों को गुजरने में सहायता मिलती है। इसके अतिरिक्त, ये रोबोट लैंड माइंस भी बिछा सकते हैं।
डेपेशा और बग्गी द्वारा शीघ्र और सावधानी से भोजन, गोला-बारूद और ईंधन को अग्रिम पंक्ति तक पहुंचा सकते हैं और घायल सैनिकों को भी निकाल सकते हैं।
इन रोबोटों का वर्तमान में विशेष सैन्य अभियान क्षेत्र में व्यापक परीक्षण चल रहा है।