रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि स्किन बैंक में प्लास्टिक सर्जन, ऊतक इंजीनियर और विशेष तकनीशियनों सहित उच्च प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों की एक टीम काम करेगी।
बयान में कहा गया, "इस ऐतिहासिक पहल का उद्देश्य सैन्यकर्मियों और उनके परिवारों में गंभीर रूप से जलने की चोटों और अन्य त्वचा संबंधी स्थितियों के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव लाना है।"
अधिकारियों ने बताया कि यह बैंक त्वचा प्रत्यारोपण के संग्रह, प्रसंस्करण, भंडारण और वितरण के लिए एक केंद्र के रूप में काम करेगा, जिससे देश भर के सैन्य चिकित्सा केंद्रों को मदद मिलेगी।
बयान में कहा गया है कि यह सुविधा गुणवत्ता नियंत्रण और सुरक्षा के उच्चतम मानकों का पालन करेगी, जिससे त्वचा प्रत्यारोपण की अखंडता और विश्वसनीयता सुनिश्चित होगी।
डीजीएमएस (सेना) और कर्नल कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल अरिंदम चटर्जी ने इस स्किन बैंक के शुभारंभ को "सैन्य कर्मियों के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण" बताया। उन्होंने कहा कि यह सुविधा न केवल देखभाल की गुणवत्ता को बढ़ाएगी, बल्कि गंभीर चोटों से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने की क्षमता को भी मजबूत करेगी।