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जानें भारत को स्वदेशी लड़ाकू जेट तेजस Mk2 की आवश्यकता क्यों है?

© AP Photo / Aijaz RahiTejas
Tejas - Sputnik भारत, 1920, 16.06.2024
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पिछले साल सितंबर में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने LCA Mk2 को विकसित करने की परियोजना के लिए 6,500 करोड़ रुपये मंजूर किए थे, जो भारत के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस का अधिक घातक और उन्नत संस्करण है।
तेजस अपनी श्रेणी का सबसे छोटा और सबसे हल्का विमान है और इसके आयाम तथा समग्र संरचना का व्यापक उपयोग इसे हल्का बनाता है। इस विमान का उपयोग जमीनी हमले, हवा से हवा में युद्ध और वायु रक्षा जैसी कई भूमिकाओं के लिए किया जा सकता है।
तेजस Mk1, Mk1A और Mk2 वेरिएंट भविष्य में भारतीय वायु सेना के मिग-21, मिग-29 और जगुआर की जगह लेंगे। इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया जा रहा है।
तेजस मार्क 2 एक अधिक शक्तिशाली जेट है और इसे एक बड़े इंजन की आवश्यकता है। एचएएल ने इस कार्यक्रम के लिए आठ F414 इंजन खरीदे हैं। भारतीय वायु सेना तेजस Mk2 के छह स्क्वाड्रन बनाना चाहती है और प्रोटोटाइप का परीक्षण 2026 में किए जाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली को उम्मीद है कि वह स्वदेशी निर्मित इंजन से चलने वाले स्वदेशी निर्मित जेट विमानों के जरिए अपने लक्ष्य को पूरा कर सकेगी, जिससे लागत पर नियंत्रण रहेगा और विदेशी आपूर्तिकर्ता पर निर्भर होने से भी बचा जा सकेगा।
इस बीच देश के जाने माने रक्षा विशेषज्ञ और भारतीय सेना से मेजर जनरल के पद से सेवानिवृत्त पी. के. सहगल ने Sputnik India को बताया कि "भारत के लिए दूरदृष्टि रखना बहुत जरूरी है। 15 साल बाद क्या तकनीक आएगी यह भी देखना है पांचवीं पीढ़ी के अलावा छठी पीढ़ी की तकनीक भी आ सकती है। ऐसे में भारत को भी तकनीक के मामलों में दूसरों से आगे रहना है।"

सहगल ने कहा, "भारत के पड़ोसी देश के पास फिफ्थ जेनेरेशन की तकनीक है, जो हिंदुस्तान की सुरक्षा की दृष्टि से काफी खतरनाक है। ऐसे में अपनी जरूरतों और दुश्मनों की काबिलियत और भविष्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तेजस मार्क 2 की जरूरत है और भारत की कोशिश है कि तेजस मार्क 2 को फिफ्थ जेनेरेशन स्टील्थ एयरक्राफ्ट बनाएं जो चीन के J20 से भी आधुनिक हो। भारत कोशिश कर रहा है कि परीक्षण मॉडल 2026 में तैयार हो जाए ताकि 2029 या 2030 तक उसको सेवा में तैनात करना शुरू कर सकें।"

दरअसल चीन के पास पांचवीं पीढ़ी के दो लड़ाकू विमान हैं। ट्विन-इंजन हैवी फाइटर और J-20 पहले से ही सेवा में है और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) में स्क्वाड्रन की ताकत है। चीन एक मध्यम वजन का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान FC-31 भी विकसित कर रहा है, जिसे संभावित ग्राहकों को निर्यात किए जाने की संभावना है। पाकिस्तान इसका पहला प्राप्तकर्ता हो सकता है।
तेजस Mk2 अपने बढ़े हुए आकार और वजन के कारण अपने पूर्ववर्तियों से अलग है। यह अधिक पेलोड क्षमता की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि लड़ाकू जेट अधिक शक्तिशाली और विविध प्रकार के हथियार और उपकरण ले जा सकता है, जिससे यह युद्ध के मैदान में एक शक्तिशाली जेट बन जाता है।

सहगल ने कहा, "आजकल की लड़ाई में बड़े बदलाव हो रहे हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोट, स्पेस आधारित हथियार, इलेक्ट्रॉनिक मैग्नेटिक पल्स जैसे हथियार आ रहे हैं और साइबर वारफेयर बड़े पैमाने पर हो रहे हैं ऐसे में बहुत जरुरी है कि दुश्मन जो तकनीक ला रहा है हमारे पास उसके समान तकनीक हो या उससे बेहतर टेक्नोलॉजी हो। इसी को ध्यान में रखकर भारत स्वदेशी तकनीक को लाना चाहता है जो कि हम मार्क 2 में इस्तेमाल करना चाहते हैं न कि हम बाहरी देशों पर निर्भर रहे।"

इसके अलावा उन्होंने कहा कि "तेजस मार्क 1 में 404 इंजन प्रयोग किया जा रहा है, वह इंजन वास्तव में कम शक्ति वाला है। और यदि तेजस को आधुनिक लड़ाकू विमान बनाना है वैसे तो बढ़िया लड़ाकू विमान है लेकिन उसमें कई सुधार किए जा रहे हैं, जिसमें बेहतर रडार, कॉकपिट, सेंसर, ईंधन भरने, मिसाइल से लैस करना आदि शामिल है। मार्क 2 ट्विन इंजन होगा और एवियोनिक्स और विजियोनिक्स बेहतर होंगे और स्टील्थ तकनीक से लैस होगा।"
तेजस Mk2 परियोजना भारत की स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की निरंतर प्रतिबद्धता का संकेत देती है। विमान की सफलता भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता को बढ़ाएगी और देश को वैश्विक एयरोस्पेस उद्योग में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करेगी।
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