समझौते के मुताबिक ISRO की कंपनी न्यू इंडिया स्पेस लिमिटेड (NSIL) के छोटे उपग्रहों के लिए बनाए गए लांच व्हीकल से यह 450 किग्रा का उपग्रह छोड़ा जाएगा। इस मिशन को स्पेस मैत्री MAITRI (Mission for Australia-India’s Technology, Research and Innovation) नाम दिया गया है। इस मिशन को इसी साल अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया सरकार की ओर से 85 लाख डॉलर का अनुदान दिया गया है।
NSIL के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राधाकृष्णन दुरईराज ने कहा कि हम ऑप्टिमस स्पेसक्राफ्ट को छोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के अंतरिक्ष उद्योग की प्रगति और अंतरिक्ष के बेहतर ढंग से उपयोग में भी योगदान देंगे। इस मिशन में अंतरिक्ष के कचरे को साफ़ करने और अंतरिक्ष का ज़िम्मेदारी के साथ उपयोग करने के तरीक़ों को बढ़ावा दिया जाएगा।
स्पेस कांग्रेस के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए ISRO के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि भारत में अंतरिक्ष में काम करने की क्षमताओं का अच्छा विकास हुआ है। अंतरिक्ष कार्यक्रमों को किफ़ायती बनाने के लिए पूरी दुनिया में काम हो रहा है और भारत को भी इस विषय में सोचना चाहिए। अंतरिक्ष का इस्तेमाल केवल व्यापार के लिए नहीं होना चाहिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों को पूरी मानवता के फ़ायदे के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए।