भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस सोमनाथ ने दिल्ली में इंडिया स्पेस कांग्रेस के उद्धाटन के बाद पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि इस मिशन के लिए ज़रूरी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट या स्पेडेक्स का पहला लांच इस साल नवंबर-दिसंबर में करने की तैयारी है।
चंद्रयान-4 को 2027 तक चंद्रमा पर भेजने की तैयारी चल रही है। इस मिशन की तैयारी के लिए इस दौरान कई लांच किए जाएंगे। ISRO चेयरमैन ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी लेकर वापस लाना है। अभी की योजना के मुताबिक एक प्रोब चांद की सतह से मिट्टी का नमूना एकत्र करेगा और दूसरा प्रोब उसे लेकर वापस धरती पर आएगा। इसके लिए कई परीक्षण और लांच किए जाने हैं।
भारत ने अक्टूबर 2008 में चंद्रयान 1 लांच किया था जो अगले साल यानि 2009 तक काम करता रहा। जुलाई 2019 को दूसरा उपग्रह चंद्रयान-2 लांच किया गया लेकिन वह चंद्रमा की सतह से टकराकर टूट गया। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 को छोड़ा गया था और यह 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतर गया। चंद्रयान-3 ने 3 सितंबर तक चंद्रमा की सतह और मौसम के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी थीं। चंद्रयान-4 भारत के चंद्रयान कार्यक्रम का सबसे आधुनिक उपग्रह होगा। पहली बार कोई भारतीय उपग्रह चंद्रमा की सतह से मिट्टी के नमूने लेकर भारत आएगा।
पहले भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को भी 2035 तक पूरा करने की तैयारी चल रही है। इस स्टेशन का पहला माड्यूल 2028 तक लांच होने की संभावना है। ISRO चेयरमैन ने बताया कि इस समय उनकी प्राथमिकता यही दोनों कार्यक्रम हैं। अंतरिक्ष स्टेशन में 5 माड्यूल होंगे। इस स्टेशन में 2 से लेकर 4 अंतरिक्ष यात्री रह सकेंगे।