DRDO ने सेनाओं के इस्तेमाल आने वाले कुल 7 प्रोजेक्ट मंज़ूर किए हैं, सभी स्वदेशी छोटे उद्योगों द्वारा पूरे किए जाएंगे।
समुद्र के अंदर जाकर टोह लेने, जासूसी करने और चौकसी करने के लिए ड्रोन बनाने का प्रोजेक्ट सागर डिफेंस इंजीनियरिंग को दिया गया है। यह ड्रोन अपने शिप से अलग होकर समुद्र में तय दूरी तक जाएगा और ज़रूरी जानकारी मुहैय्या कराएगा।
एक दूसरा ड्रोन प्रोजेक्ट दोहरी भूमिका के लिए मंज़ूर किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत बनाया जाने वाला ड्रोन पानी की सतह के अंदर मौजूद लक्ष्य को तलाश करेगा, उसकी पहचान करेगा और उसे तबाह करेगा। यह ड्रोन अपने बेस से बहुत दूर जाकर कार्रवाई करेगा ताकि बेस को कार्रवाई के इलाक़े से दूर रखा जा सके।
इन दो ड्रोन प्रोजेक्ट्स के अलावा DRDO ने पायलटों को वास्तविक परिस्थित में प्रशिक्षण देने वाले सिमुलेटर के लिए एक स्वदेशी टूलकिट बनाने को भी मंजूरी दी है। एयरक्राफ्ट की उड़ान के दौरान उसकी सतह पर जमने वाली बर्फ की सूचना देने वाले सेंसर, रडार सिग्नल प्रोसेसर, ग्राफीन पर आधारित ज्यादा बेहतर कपड़े बनाने के प्रोजेक्ट भी मंज़ूर किए हैं।