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निजी कंपनी द्वारा स्नाइपर राइफलों का निर्यात सरकार के प्रोत्साहन का नतीजा: विशेषज्ञ
निजी कंपनी द्वारा स्नाइपर राइफलों का निर्यात सरकार के प्रोत्साहन का नतीजा: विशेषज्ञ
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भारत में पहली बार देश की निजी रक्षा कंपनी ने किसी विदेशी देश को स्नाइपर राइफलें निर्यात की हैं, यह निर्यात देश में काम कर रही दूसरे रक्षा निर्माताओं के लिए एक नए जोश का संचार करेगा।
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भारत में पहली बार किसी निजी रक्षा कंपनी ने किसी विदेशी देश को स्नाइपर राइफलों का निर्यात किया है। इस निर्यात से देश में कार्यरत अन्य रक्षा निर्माताओं को नई प्रेरणा मिलेगी।द प्रिंट के मुताबिक, कर्नाटक में बेंगलुरु स्थित एक छोटे हथियार निर्माता SSS डिफेंस ने .338 लापुआ मैग्नम कैलिबर स्नाइपर राइफल की मित्र देश को आपूर्ति करने के लिए एक बड़ा अनुबंध हासिल कर उसे पूरा किया है। यह राइफल पूरी तरह से भारत में डिजाइन और निर्मित की गई है, जिसमें इसकी बैरल भी शामिल है।रिपोर्ट के मुताबिक, इस फर्म ने न केवल स्नाइपर राइफल बल्कि कई मित्र देशों से लगभग 50 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के गोला-बारूद की आपूर्ति के अनुबंध भी हासिल किए हैं। रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया गया कि निजी कंपनियां अपने दम पर भी ग्राहकों की तलाश कर रही हैं, जिसमें भारत सरकार जल्दी से जल्दी मंजूरी देकर उनकी मदद कर रही हैं और विदेशी अनुरोधों को उनके पास भेज रही है।इस रक्षा निर्यात के बारे में भारतीय नौसेना में कॉमोडोर के पद से सेवानिवृत्त और रक्षा विशेषज्ञ रंजीत बी राय से Sputnik भारत ने बात की। उन्होंने इस खबर पर खुशी जताते हुए कहा कि मीडिया द्वारा बताया गया है कि एक छोटे हथियार निर्माण कंपनी SSS डिफेंस ने मित्र देशों को निर्यात करने के लिए स्नाइपर राइफलों का एक बड़ा ऑर्डर हासिल किया है।कॉमोडोर राय ने इस निर्यात की खबर के बारे में आगे कहा कि यह खबर उस समय आई है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस की यात्रा समाप्त की है। उनकी इस यात्रा से देश में व्यापार और रूसी तकनीक का अधिक प्रवाह होगा।रक्षा क्षेत्र में ताजा निर्यात आकड़ों के मुताबिक, भारतीय रक्षा उद्योग अब उड़ान भरने वाला है, जहां भारत ने 256 बिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात किया है, जिसके बारे में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है।इस तरह के अनुबंध हासिल करने के बाद यह भारत में चल रहे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए नए मील के पत्थर साबित होगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि SSS डिफेंस ने पहले ही स्नाइपर राइफलों का निर्यात पूरा कर लिया है। यह राइफल 1,500 मीटर और उससे आगे के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं।कुछ अन्य देश इस राइफल को खरीदने में रुचि रखते हैं। इस राइफल में उच्च निर्यात क्षमता है, क्योंकि कम से कम 30 देश .338 लापुआ मैग्नम स्नाइपर का उपयोग करते हैं और एक दर्जन से अधिक निर्माता इस कैलिबर में कई कॉन्फ़िगरेशन में राइफलें बनाते हैं। देश ने स्नाइपर राइफलों का निर्यात शुरू कर दिया है।भारतीय नौसेना में कॉमोडोर रंजीत बी राय (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत में L&T जैसी अन्य बड़ी कंपनियां पहले से ही निर्यात बाजार में हैं। लेकिन यह छोटी कंपनी हैं जो वास्तव में देश को बहुत अधिक अर्थव्यवस्था प्रदान करती हैं, जिसके बाद वे फिर बड़ी कंपनियों का रुप ले लेती हैं।
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निजी कंपनी द्वारा स्नाइपर राइफलों का निर्यात सरकार के प्रोत्साहन का नतीजा: विशेषज्ञ
भारत का वार्षिक रक्षा उत्पादन 2023-24 में लगभग 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह आंकड़े बताते हैं कि भारत हथियारों के निर्माता के तौर पर दुनियाभर में एक अलग मुकाम हासिल कर रहा है।
भारत में पहली बार किसी निजी रक्षा कंपनी ने किसी विदेशी देश को स्नाइपर राइफलों का निर्यात किया है। इस निर्यात से देश में कार्यरत अन्य रक्षा निर्माताओं को नई प्रेरणा मिलेगी।
द प्रिंट के मुताबिक, कर्नाटक में बेंगलुरु स्थित एक छोटे हथियार निर्माता SSS डिफेंस ने .338 लापुआ मैग्नम कैलिबर स्नाइपर राइफल की मित्र देश को आपूर्ति करने के लिए एक बड़ा अनुबंध हासिल कर उसे पूरा किया है। यह राइफल पूरी तरह से
भारत में डिजाइन और निर्मित की गई है, जिसमें इसकी बैरल भी शामिल है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस फर्म ने न केवल स्नाइपर राइफल बल्कि कई मित्र देशों से लगभग 50 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के
गोला-बारूद की आपूर्ति के अनुबंध भी हासिल किए हैं। रिपोर्ट में रक्षा सूत्रों के हवाले से बताया गया कि निजी कंपनियां अपने दम पर भी ग्राहकों की तलाश कर रही हैं, जिसमें भारत सरकार जल्दी से जल्दी मंजूरी देकर उनकी मदद कर रही हैं और विदेशी अनुरोधों को उनके पास भेज रही है।
इस रक्षा निर्यात के बारे में भारतीय नौसेना में कॉमोडोर के पद से सेवानिवृत्त और रक्षा विशेषज्ञ रंजीत बी राय से Sputnik भारत ने बात की। उन्होंने इस खबर पर खुशी जताते हुए कहा कि मीडिया द्वारा बताया गया है कि एक छोटे
हथियार निर्माण कंपनी SSS डिफेंस ने मित्र देशों को निर्यात करने के लिए स्नाइपर राइफलों का एक बड़ा ऑर्डर हासिल किया है।
रंजीत राय ने कहा, "यह सबसे अच्छी खबर है और उन्हें उनके निर्यात के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। अब देश में कई छोटे हथियार निर्माता, सॉफ्टवेयर निर्माता और अन्य कंपनियां अब मित्र देशों को निर्यात करने के लिए सरकार से अनुमति प्राप्त करने में सक्षम हैं, हालांकि हमें देखना होगा कि इस बड़ी कंपनी ने कौन सी तकनीक का उपयोग किया है।"
कॉमोडोर राय ने इस निर्यात की खबर के बारे में आगे कहा कि यह खबर उस समय आई है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
रूस की यात्रा समाप्त की है। उनकी इस यात्रा से देश में व्यापार और रूसी तकनीक का अधिक प्रवाह होगा।
रक्षा क्षेत्र में ताजा निर्यात आकड़ों के मुताबिक, भारतीय रक्षा उद्योग अब उड़ान भरने वाला है, जहां भारत ने 256 बिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्यात किया है, जिसके बारे में
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा है।
राय ने कहा, "देश में अन्य कंपनियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन वर्तमान में कोई भी निजी कंपनी नहीं है जो रक्षा मंत्रालय के बड़े पैमाने पर कागजी कार्रवाई के बिना आसानी से आगे बढ़ सकती है। आज दुनिया कृत्रिम प्रौद्योगिकी में जा रही है। लेकिन भारत राज्य के कागजों से बंधा हुआ है और इसलिए नई दिल्ली को फाइल प्रक्रियाओं को नेविगेट करना चाहिए।"
इस तरह के अनुबंध हासिल करने के बाद यह भारत में चल रहे मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए नए मील के पत्थर साबित होगा। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि SSS डिफेंस ने पहले ही स्नाइपर राइफलों का निर्यात पूरा कर लिया है। यह राइफल 1,500 मीटर और उससे आगे के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं।
कुछ अन्य देश इस राइफल को खरीदने में रुचि रखते हैं। इस राइफल में
उच्च निर्यात क्षमता है, क्योंकि कम से कम 30 देश .338 लापुआ मैग्नम स्नाइपर का उपयोग करते हैं और एक दर्जन से अधिक निर्माता इस कैलिबर में कई कॉन्फ़िगरेशन में राइफलें बनाते हैं। देश ने स्नाइपर राइफलों का निर्यात शुरू कर दिया है।
भारतीय नौसेना में कॉमोडोर रंजीत बी राय (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत में L&T जैसी अन्य बड़ी कंपनियां पहले से ही निर्यात बाजार में हैं। लेकिन यह छोटी कंपनी हैं जो वास्तव में देश को बहुत
अधिक अर्थव्यवस्था प्रदान करती हैं, जिसके बाद वे फिर बड़ी कंपनियों का रुप ले लेती हैं।
उन्होंने कहा, "मैं कहूंगा कि यह शुरू हो गया है, और उन्होंने निर्यात शुरू कर दिया है। मुझे यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि एक कंपनी हथियारों का निर्यात करने जा रही है।"