प्रधानमंत्री सिंकुन ला टनल के बनने की शुरुआत एक सांकेतिक ब्लास्ट से करेंगे। यह टनल लद्दाख तक पहुंचने के तीसरे ऐसे रास्ते को खोलेगी जो लगभग पूरे साल खुला रहेगा। यह रास्ता लेह के पास निमू से शुरू होगा और पदम होते हुए दारचा तक जाएगा। इस निमू-पदम-दारचा के बन जाने के बाद सिंकुन ला टनल से होकर साल भर लद्दाख तक यातायात जारी रहेगा।
कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने लद्दाख को ज़ोजिला पास से होकर श्रीनगर तक जाने वाले राजमार्ग नेशनल 1 A को काटने की कोशिश की थी ताकि लद्दाख में तैनात भारतीय सेनाएं अलग-थलग पड़ जाएं। यह पूरा राजमार्ग पाकिस्तानी सीमा के पास से गुज़रता है इसलिए इसपर खतरा बना रहता है। निमू-पदम-दारचा सीमा से काफी दूर है इसलिए इसे काटना दुश्मन के लिए आसान नहीं होगा।
इसके अलावा यह रास्ता कम ऊंचाई से गुज़रता है और साल भर खुला रखा जा सकता है। इस रास्ते पर सबसे ऊंची जगह सिंकुन ला पास है जो 15800 फीट की ऊंचाई पर है। इस पर 4.1 किमी लंबी सिंकुन ला टनल बनाई जा रही है जिससे इस पास को साल भर पार किया जा सके। इस रास्ते से हिमाचल प्रदेश के मनाली से लेह पहुंचने में काफ़ी कम समय भी लगेगा। पूरी होने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची टनल भी होगी।
कारगिल युद्ध के बाद ही लद्दाख के लिए अतिरिक्त रास्ते बनाने की तैयारी शुरू हो गई थी। इसके तहत मनाली से लेह के रास्ते में रोहतांग पास के नीचे से टनल बनाई गई। इससे रोहतांग को पार करने का दो घंटे का समय 10 मिनट रह गया।
लेकिन मनाली-लेह मार्ग में अभी भी दो ऊंचे पास बारालाचला और तंगलांगला हैं जिन्हें पार करने में समय लगता है। साथ ही ये दोनों ही रास्ते सर्दियों में लंबे समय के लिए बंद हो जाते हैं। निमू-पदम-दारचा से समय भी कम लगेगा और इसे लगभग पूरे साल चालू रखा जा सकेगा।