भारतीय सेना को सबसे ज्यादा नुकसान शहरों या गांवों के घरों में छिपे आतंकवादियों से मुक़ाबले में होता है। अब इसका पक्का इलाज़ मिल गया है। केवल 15 सेमी लंबा, 260 ग्राम वज़नी एक ड्रोन घरों में छिपे आतंकवादियों को तलाश करेगा और उन्हें मार गिराएगा।
ज़ुलू डिफेंस सिस्टम का हॉवर-बी नाम का यह ड्रोन भारतीय सेना में शामिल होना शुरू हो चुका है। इसे खासतौर पर आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों में इस्तेमाल किया जाएगा।
ज़ुलू डिफेंस सिस्टम के चीफ ग्रोथ ऑफिसर मेजर समर सिंह तूर (सेवानिवृत्त) ने बताया कि हॉवर-बी एक आत्मघाती यानि कामिकेज ड्रोन है।
मेजर तूर ने बताया, "यह ड्रोन कमरे में घुसेगा और आसपास की रुकावटों से बचता हुआ निशाने की तलाश करेगा। इसमें 400 ग्राम का ग्रेनेड लगाया गया है जिसमें रिमोट से विस्फोट कराया जा सकता है।"
हॉवर बी अपने आसपास कोई हलचल होने पर या निशाने से टकराने से भी फट सकता है। इसमें सेंसर्स लगे हैं जो इसे रास्ता तलाश करने और वीडियो फीड भेजने में मदद करते हैं। इसमें रात में देखने के लिए नाइट विज़न डिवाइस लगाया गया है जिससे इसके लिए रात में भी आतंकवादियों की तलाश करना आसान है।
इस ड्रोन से निगरानी का काम भी लिया जा सकता है और यह लाइव फ़ीड अपने बेस तक भेज सकता है। इसको बेस से 2 किमी की दूरी तक भेजा जा सकता है।
पहाड़ों और जंगलों वाली भारत की सीमाओं से आतंकवादी लगातार घुसपैठ की कोशिश करते रहते हैं। हॉवर बी खराब मौसम या कोहरे में भी सीमा पर नज़र रख सकता है और घुसपैठ की किसी घटना से अपने बेस को सतर्क कर सकता है।