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हिंद महासागर को शांति का क्षेत्र बनाने की 1971 की घोषणा को साकार करने की आवश्यकता है: विशेषज्ञ

अब रूसी नौसेना के प्रमुख एडमिरल अलेक्सांद्र अलेक्सेयेविच मोइसेयेव की भारत यात्रा पर नज़रें टिकी हुई हैं। दोनों देशों के उच्च सैन्य अधिकारियों के बीच समुद्र में सहयोग बढ़ाने के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई है।
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रूसी नौसेनाध्यक्ष ने दिल्ली में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और सीडीएस जनरल अनिल चौहान से मुलाक़ात की है।
मुलाक़ात के बारे में अधिकारिक वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के प्रति दोनों देशों के संकल्प, रणनैतिक सहयोग बढ़ाने और दोनों के बीच मज़बूत रक्षा संबंधों पर चर्चा हुई।
रूसी नौसेनाध्यक्ष भारतीय नौसेना की पश्चिमी कमान की यात्रा भी कर रहे हैं और मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड का निरीक्षण भी कर रहे हैं।
भारतीय नौसेना ने इस यात्रा पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया में कहा है कि यह यात्रा दोनों देशों की नौसेनाओं के लंबे संबंधों की साक्षी है और इससे नौसैनिक सहयोग के नए आयाम खोजे जाएंगे। दोनों देशों की नौसेनाएं प्रशिक्षण, कार्रवाइयों की जानकारी, समुद्र की जानकारी और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान में सहयोग करती हैं।
Indian, Russian Navy Chiefs Hold Talks to Deepen Maritime Security Ties
पिछले कुछ समय से हिंद महासागर क्षेत्र में अमेरिका की नौसेना की गतिविधियां तेज़ हुई हैं। अमेरिका हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति लगातार बढ़ा रहा है और हाल ही में बांग्लादेश में हुई घटनाओं के बाद स्थानीय लोगों में उसके हस्तक्षेप की आशंका बढ़ गई है।
थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के निदेशक आलोक बंसल का कहना है कि हिंद महासागर को शांति का क्षेत्र बनाने की 1971 में की गई संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा को साकार करने की आवश्यकता है।

"भारत और रूस की नौसेना के पुराने संबंध हैं। भारतीय नौसेना के कई जहाज़ रूसी मूल के हैं और भारतीय नौसैनिक अधिकारी रूस में प्रशिक्षण लेते हैं। दोनों देशों के नौसैनिक सहयोग का पुराना इतिहास रहा है," उन्होंने कहा।

आलोक बंसल ने यह भी कहा कि हाल ही में बांग्लादेश की घटनाओं को देखते हुए वैश्विक स्तर पर संबंधों में संतुलन बनाना ज़रूरी है।
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