रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जुलाई में हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच 2024-2029 के लिए रूसी सुदूर पूर्व में व्यापार, आर्थिक और निवेश क्षेत्रों में भारत-रूस सहयोग कार्यक्रम के साथ-साथ रूस के आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग सिद्धांतों पर हस्ताक्षर किए गए थे।
चेकुनकोव ने कहा, "सबसे पहले, हम परिवहन के विकास, सुदूर पूर्व और भारत के तट के मध्य सीधे समुद्री कनेक्शन की स्थापना के बारे में बात कर रहे हैं। तेल और विशेष प्रयोजन के सामान को छोड़कर सुदूर पूर्व और भारत के बंदरगाहों के बीच व्यापार एक अरब डॉलर से अधिक है, इसलिए इस समझौते का लॉजिस्टिक्स पहलू बहुत महत्त्वपूर्ण है। इससे सुदूर पूर्व और भारत तथा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों के बीच व्यापार करने में बढ़ावा मिलेगा।"
उन्होंने आगे कहा कि मध्यवर्ती पड़ावों के हिस्से के रूप में रूस-भारत के बीच मार्गों में वियतनाम, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों को शामिल करने पर काम किया जा रहा है।
चेकुनकोव के मुताबिक, वर्तमान में FESCO समूह यानि सुदूर पूर्वी शिपिंग कंपनी इस पर सक्रिय रूप से काम कर रही है और भारतीय पक्ष की भी इस कार्य में बहुत रुचि है।
चेकुनकोव ने बर्फ-श्रेणी के जहाजों के बारे में बात करते हुए बताया, "हम भारतीय शिपयार्डों में जहाजों के संयुक्त निर्माण के अवसर भी खोजते रहेंगे। हमें उम्मीद है कि आगामी ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में इस मुद्दे पर प्रगति हो सकती है।"