भारतीय नैसेना ने अपने बयान में बताया कि लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर डिल्ना के भारतीय नौसेना के जहाज़ तारिणी से इस अभियान नाविका सागर परिक्रमा-2 पर निकलेंगी।
लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा ए और लेफ्टिनेंट कमांडर डिल्ना के ने इस अभियान की तैयारी करने के लिए पिछले साल गोवा से रियो द जेनेरियों तक के अंतर-सागरीय अभियान में हिस्सा लिया। गोवा से अंडमान-निकोबार तक पाल वाली नाव से यात्रा की और गोवा से मारिशस के पोर्ट लुइस तक की यात्रा पूरी की।
सागर परिक्रमा किसी भी नाविक के लिए उसके नौवहन कौशल के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक दृढ़ता की कसौटी होती है। इस अभियान के लिए इन अफसरों को भारतीय नौसेना के सबसे प्रसिद्ध नौसैनिक, कमांडर अभिलाष टॉमी ने प्रशिक्षण दिया है। कमांडर अभिलाष टॉमी ने खुद भी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सागर परिक्रमा की है और 2013 में अकेले सागर परिक्रमा करने वाले पहले भारतीय बने।
नाविका सागर परिक्रमा-2 के लिए भारतीय नौसेना ने एक प्रतीक चिन्ह यानी लोगो जारी किया है। इस चिन्ह में अष्टकोणीय आकृति में केंद्र में भारतीय नौसेना को दिखाया गया है, साथ ही सूर्य को एक कंपास के रूप पथप्रदर्शक दिखाया गया है।
Logo of sailing expedition
© Photo : X/@indiannavy
भारतीय नौसेना ने अपनी पुरानी नौवहन तकनीक के ज़रिए रोमांचक अभियानों पर निकलने के लिए तरंगिणी, सुदर्शनी, म्हादेई और तारिणी जैसी नावें बनाई हैं जो पालों से नियंत्रित की जाती हैं।
केवल महिलाओं द्वारा की गई भारतीय नौसेना की पहली सागर परिक्रमा यानी नाविका सागर परिक्रमा 10 सितंबर 2017 को शुरू हुई थी और यह 254 दिनों में पूरी की गई थी। इस अभियान में लगभग 40000 किमी की समुद्र की यात्रा की गई थी और पूरी यात्रा में केवल 4 बंदरगाहों पर इसे रोका गया था।