"धमकी देने वाले की मंशा है कि कहीं न कहीं लोगों के मन में डर फैलाएं। यह एक साइबर टेरर का स्वरुप है इसलिए केवल इसको धमकी नहीं समझना चाहिए। कुछ नहीं मिला उसका तात्पर्य यह नहीं हुआ कि जुर्म नहीं हुआ। धमकी देने से ही जुर्म हो गया क्योंकि धमकी इलेक्ट्रॉनिकली दी गई, जो कि ईमेल या फ़ोन से दी गई जो धारा 66F भारत के सूचना प्रौद्योगिकी कानून में एक दंडनीय अपराध है जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान है," दुग्गल ने Sputnik India बताया।
"यह धमकी बार-बार इसलिए मिल रही है ताकि लोगों में ब्रॉडर मैसेज पहुंचे कि भारत में इस तरह का ग़दर करोगे या बार-बार धमकी दोगे तो कुछ होने नहीं वाला और दूसरी बात बार-बार भारत इस तरह के मामलों में कोई कारगर स्त्रोत इकट्ठा नहीं जुटा पा रहा। कोई रिस्पांस मैकेनिज्म नहीं है और कहीं न कहीं असक्षम हैं कि इस तरह की चुनौतियों से निपट सके, यह सन्देश दिया जा रहा है। इससे वैश्विक स्तर पर छवि खराब होगी और राष्ट्र की प्रभुता पर असर पड़ सकता है इसलिए इसको बहुत ज्यादा गंभीरता से लेने की आवश्यकता है," दुग्गल ने टिप्पणी की।