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नौसेना 20-21 नवंबर को करेगी समुद्री रक्षा अभ्यास, बड़ी संख्या में युद्धपोत और एयरक्राफ्ट होंगे शामिल

भारतीय नौसेना 20 और 21 नवंबर को समुद्र तटीय सुरक्षा को मज़बूत करने का अभ्यास सी विजिल-24 करेगी। चौथी बार हो रहा यह अभ्यास इस बार बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है जिसमें 6 मंत्रालय और 21 एजेंसियां या संस्थान शामिल होंगे। 
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भारतीय नौसेना ने जानकारी दी है कि अभ्यास में नौसेना के अलावा सेना और वायुसेना भी शामिल होंगी। सी विजिल में युद्धपोत और एयरक्राफ्ट भी बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे। भारत के सभी तटवर्ती राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के नौसेना प्रमुखों ने अक्टूबर से चल रहे इस अभ्यास के तटीय रक्षा और सुरक्षा तत्परता मूल्यांकन (CDSRE) चरण में हिस्सा लिया है।
CDSRE के दौरान समुद्र तट की सुरक्षा और सुरक्षा बंदोबस्तों का बारीकी से परीक्षण किया गया। CDSRE में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्यों भी शामिल हुए। इनके अलावा तटरक्षक बल, राज्य मरीन पुलिस, कस्टम विभाग के अधिकारी भी इस चरण के अभ्यास में उपस्थित थे ताकि समुद्री सुरक्षा के हर पक्ष को जांचा जा सके।
इस अभ्यास के दौरान बंदरगाहों, तेल के कुओं, केबल लैंडिंग प्लाइंट्स के साथ-साथ तटों पर मौजूद महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा की मज़बूती पर ध्यान दिया जाएगा।
भारत ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद समुद्री सुरक्षा पर बहुत ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया था। भारतीय उपमहाद्वीप में 11098 किमी लंबी तटरेखा है और 24 लाख वर्ग किमी का एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन है। भारत हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से न केवल बड़ी मात्रा में समुद्री संपदा लेता है, बल्कि दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्ग भी यहीं से होकर जाते हैं।
आतंकवाद के अलावा समुद्री डकैतियां और तस्करी समुद्र की सुरक्षा में लगी एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौतियां हैं। समुद्री सुरक्षा में सुरक्षा एजेंसियों के अलावा आम लोगों को भी भागीदार बनाने के लिए सी विजिल में मछुआरों, स्थानीय निवासियों और छात्रों को भी शामिल किया गया है।
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