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भारतीय प्रवासियों ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ‘स्वतंत्र कश्मीर’ बहस पर जताया विरोध

ब्रिटिश हिंदुओं और भारतीयों के सामाजिक आंदोलन इन्साइट यूके ने ऑक्सफोर्ड को पत्र लिख कर कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जिसे भारतीय कानून और भारतीय संविधान दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त है।
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भारतीय प्रवासियों ने ऑक्सफोर्ड यूनियन से यूनिवर्सिटी में भारतीय राज्य कश्मीर की स्वतंत्रता पर 14 नवंबर को एक बहस की योजना बनाने और आतंकवाद से संदिग्ध संबंध रखने वाले वक्ता को शामिल करने पर शिकायत दर्ज की है।
उन्होंने पत्र में साफ तौर पर लिखा कि संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी कश्मीर की स्थिति को मान्यता दी है कि 1947 में भारत में इसके कानूनी और संवैधानिक विलय के बाद से जम्मू और कश्मीर भारतीय राज्य का हिस्सा रहा है।

भारतीय प्रवासी समूह इनसाइट यूके ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को लिखा, "भारत के अभिन्न अंग के रूप में इसकी स्थिति पर सवाल उठाने वाली कोई भी बहस, विस्तार से, भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप है। कश्मीर का मुद्दा भारत का आंतरिक मामला है, और किसी विदेशी मंच पर इसके संभावित अलगाव या स्वतंत्रता पर बहस करना भारत के संवैधानिक ढांचे और क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करता है।"

ब्रिटिश विश्वविद्यालय को लिखे गए पत्र में उन्होंने इस बहस में शामिल होने वाले वक्ताओं पर सवाल उठाते हुए लिखा कि इस प्रकार के लोगों के बहस में शामिल होने से यह यूनियन की प्रतिष्ठा के लिए अच्छा नहीं होगा।

इनसाइट यूके ने लिखा, "ख़ास तौर पर आतंकवाद का समर्थन करने के उनके कथित संबंधों को देखते हुए मुज़म्मिल अय्यूब और ज़फ़र खान जैसे व्यक्तियों को ऑक्सफोर्ड यूनियन डिबेट में बोलने के लिए आमंत्रित करना बेहद चिंताजनक है।"

प्रवासी सदस्यों ने आज ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया है।
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