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NATO के अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियार भारतीय सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय
NATO के अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियार भारतीय सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय
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2021 में अफगानिस्तान से NATO सुरक्षा बलों की वापसी के बाद तालिबान ने कब्जा कर लिया। NATO की वापसी के बाद, हथियारों का एक बड़ा जखीरा पीछे रह गया, जो अंततः तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों के हाथों में चला गया था।
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हाल ही में भारतीय सुरक्षाबलों ने कश्मीर में पाया कि आतंकवादी स्टील-कोर बुलेट,नाइट-विज़न ग्लास, अमेरिकी कवच-भेदी गोलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।जनवरी 2023 में, भारतीय अधिकारियों के माध्यम से एक न्यूज़ रिपोर्ट में बताया गया कि आतंकवादी M4s, M16s और अन्य अमेरिकी निर्मित हथियारों और गोला-बारूद से लैस थे। रिपोर्ट के अनुसार इन हथियारों की तस्करी अब कश्मीर में की जा रही है, जहाँ उनका उपयोग आतंकवादी सुरक्षाबलों पर हमले करने के लिए कर रहे हैं।कश्मीर में नाटो हथियारों का पहला साक्ष्य 2021 में सामने आया, जब अवंतीपोरा में एक मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया। उसके फोन पर मिली तस्वीरों में वह M4 राइफल के साथ पोज देता हुआ दिखाई दे रहा था। शुरू में, जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह के केवल शीर्ष कमांडरों को ही M4 राइफल और नाइट विजन डिवाइस दिए गए थे। इस तरह के NATO हथियार आम तौर पर आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य AK-47 से काफी अधिक है।इसके अतिरिक्त दूसरे राज्य पंजाब के शेरोन में एक चेकपॉइंट पर नियुक्त पुलिस टीम ने एक कार में आपराधिक इतिहास वाले हरप्रीत सिंह उर्फ और लवप्रीत सिंह थे जिनसे तलाशी के दौरान चार ग्लॉक-19 पिस्तौलें मिलीं, जिनमें से एक पर 'मेड फॉर नाटो आर्मी' लिखा हुआ था, साथ ही चार मैगजीन, सात जिंदा कारतूस और 4.8 लाख रुपये का हवाला धन मिला। NATO के हथियारों के भारत पहुंचाने से भारतीय सुरक्षा बलों की चुनौतियाँ बढ़ गई है, लेकिन अफगानिस्तान से पाकिस्तान होकर भारत में इस तरह के हथियारों के देश में दाखील होना नई दिल्ली के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। लेकिन ये हथियार कश्मीरी आतंकवादियों के हाथों में कैसे पहुँचे? इस प्रश्न के उत्तर के लिए Sputnik भारत ने नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) में एसोसिएट फेलो डॉ. आनंद कुमार से बात की। नाटो द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों की भारत में की जा रही तस्करी के बारे में पूछे जाने पर एसोसिएट फेलो डॉ. आनंद कुमार ने बताया कि तस्करी का नेटवर्क अफगानिस्तान से पाकिस्तान के रास्ते चलता है, क्योंकि भारत में प्रवेश करने वाले अधिकांश आतंकवादी पड़ोसी देश के रास्ते ही आते हैं। इस नेटवर्क के माध्यम से भेजे जा रहे हथियार इन आतंकवादियों के हाथों में जा रहे हैं।एसोसिएट फेलो ने इन हथियारों को भारत में अपराधियों और आतंकवादियों तक पहुंचाने वाले सिस्टम को नियंत्रित किये जाने के बारे में पूछे जाने पर बताया कि नाटो द्वारा अफगानिस्तान मे छोड़े गये हथियार भारत पहुंच गए हैं।पंजाब और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में कवच-भेदी गोलियों और नाइट-विज़न गियर जैसे उन्नत हथियारों का ख़तरा बढ़ने और इस संकट से निपटने के लिए भारतीय सुरक्षा बल द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर डॉ.आनंद कुमार ने बताया कि सुरक्षा बल अपने स्तर पर इस संकट से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहे होंगे।
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भारतीय सुरक्षाबल, ने कश्मीर में नाटो के हथियार, आतंकवादीयों के पास नाटो के हथियार,अमेरिकी कवच-भेदी गोलियों का इस्तेमाल, आतंकवादी m4s, m16s और अन्य अमेरिकी निर्मित हथियार, हथियारों की तस्करी अब कश्मीर में, आतंकवादी के सुरक्षाबलों पर हमले,indian security forces, nato weapons in kashmir, terrorists have nato weapons, us use of armor-piercing bullets, terrorists use m4s, m16s and other american-made weapons, arms smuggling now in kashmir, terrorist attacks on security forces
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NATO के अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियार भारतीय सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय
2021 में अफगानिस्तान से NATO सुरक्षा बलों की वापसी के बाद तालिबान ने कब्जा कर लिया। NATO की वापसी के बाद हथियारों का एक बड़ा जखीरा पीछे रह गया, जो अंततः तालिबान और अन्य आतंकवादी समूहों के हाथों में चला गया था।
हाल ही में भारतीय सुरक्षाबलों ने कश्मीर में पाया कि आतंकवादी स्टील-कोर बुलेट,नाइट-विज़न ग्लास, अमेरिकी कवच-भेदी गोलियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
जनवरी 2023 में, भारतीय अधिकारियों के माध्यम से एक न्यूज़ रिपोर्ट में बताया गया कि आतंकवादी M4s, M16s और अन्य अमेरिकी निर्मित हथियारों और गोला-बारूद से लैस थे। रिपोर्ट के अनुसार इन हथियारों की तस्करी अब कश्मीर में की जा रही है, जहाँ उनका उपयोग
आतंकवादी सुरक्षाबलों पर हमले करने के लिए कर रहे हैं।
कश्मीर में
नाटो हथियारों का पहला साक्ष्य 2021 में सामने आया, जब अवंतीपोरा में एक मुठभेड़ में एक आतंकवादी मारा गया। उसके फोन पर मिली तस्वीरों में वह M4 राइफल के साथ पोज देता हुआ दिखाई दे रहा था। शुरू में, जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह के केवल शीर्ष कमांडरों को ही M4 राइफल और नाइट विजन डिवाइस दिए गए थे। इस तरह के NATO हथियार आम तौर पर आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य AK-47 से काफी अधिक है।
इसके अतिरिक्त दूसरे राज्य पंजाब के शेरोन में एक चेकपॉइंट पर नियुक्त पुलिस टीम ने एक कार में आपराधिक इतिहास वाले हरप्रीत सिंह उर्फ और लवप्रीत सिंह थे जिनसे तलाशी के दौरान चार ग्लॉक-19 पिस्तौलें मिलीं, जिनमें से एक पर 'मेड फॉर नाटो आर्मी' लिखा हुआ था, साथ ही चार मैगजीन, सात जिंदा कारतूस और 4.8 लाख रुपये का हवाला धन मिला।
NATO के हथियारों के भारत पहुंचाने से
भारतीय सुरक्षा बलों की चुनौतियाँ बढ़ गई है, लेकिन अफगानिस्तान से पाकिस्तान होकर भारत में इस तरह के हथियारों के देश में दाखील होना नई दिल्ली के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। लेकिन ये हथियार कश्मीरी आतंकवादियों के हाथों में कैसे पहुँचे? इस प्रश्न के उत्तर के लिए Sputnik भारत ने नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (एमपी-आईडीएसए) में एसोसिएट फेलो डॉ. आनंद कुमार से बात की।
नाटो द्वारा अफगानिस्तान में छोड़े गए हथियारों की भारत में की जा रही तस्करी के बारे में पूछे जाने पर एसोसिएट फेलो डॉ. आनंद कुमार ने बताया कि तस्करी का नेटवर्क
अफगानिस्तान से पाकिस्तान के रास्ते चलता है, क्योंकि भारत में प्रवेश करने वाले अधिकांश आतंकवादी पड़ोसी देश के रास्ते ही आते हैं। इस नेटवर्क के माध्यम से भेजे जा रहे हथियार इन आतंकवादियों के हाथों में जा रहे हैं।
डॉ. आनंद कुमार ने कहा, "इन हथियारों का इस्तेमाल अब चरमपंथी कर रहे हैं। नतीजतन, खतरे का स्तर बढ़ रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि ये हथियार उन्नत हैं और डराने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यह हमारे सुरक्षाबलों के लिए और अधिक चुनौतियाँ पैदा कर रहे हैं, क्योंकि ये अंतरराष्ट्रीय हथियार आतंकवादियों के हाथों में जा रहे हैं।"
एसोसिएट फेलो ने इन हथियारों को भारत में अपराधियों और आतंकवादियों तक पहुंचाने वाले सिस्टम को नियंत्रित किये जाने के बारे में पूछे जाने पर बताया कि नाटो द्वारा अफगानिस्तान मे छोड़े गये हथियार भारत पहुंच गए हैं।
उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान इसमें संलग्न है। नाटो बलों की जल्दबाजी में वापसी के कारण अफगानिस्तान में छोड़े गए ये हथियार गलत हाथों में पड़ गए हैं। इन हथियारों और पाकिस्तान के डीप स्टेट के मध्य संबंध निर्विवाद है, जिसके कारण ये अंततः भारत पहुँचे।"
पंजाब और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में कवच-भेदी गोलियों और नाइट-विज़न गियर जैसे
उन्नत हथियारों का ख़तरा बढ़ने और इस संकट से निपटने के लिए भारतीय सुरक्षा बल द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर डॉ.आनंद कुमार ने बताया कि सुरक्षा बल अपने स्तर पर इस संकट से निपटने के लिए कड़े कदम उठा रहे होंगे।
डॉ. आनंद कुमार ने सुरक्षा बलों की कार्यवाही के बारे में बताया, "यह एक गंभीर चिंता का विषय है। हम उठाए जा रहे कदमों के बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस बढ़ते मुद्दे को संबोधित करने के लिए प्रयास चल रहे हैं।"