भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रतिष्ठित अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित और संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सेवा कर चुके चंदेल ने तर्क दिया कि भारत को 2047 तक विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाना चाहिए। सैन्य अनुभवी ने जोर देकर कहा कि 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय' दुनिया के सबसे बड़े और सबसे अधिक आबादी वाले लोकतंत्र की उचित उपस्थिति को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है।
चंदेल ने बताया, "परंपरागत रूप से भारत में शोध और इनोवेशन का इतिहास रहा है, जिसे हाल के दशकों में महत्वपूर्ण समर्थन मिला है। परिणामस्वरूप, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों की संख्या कई गुना बढ़ गई है। सरकार ने शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र भी खोले हैं।"
उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म भारत की ओर से पूरी दुनिया को एक उपहार है; भारतीय प्रवासी, सिनेमा और अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी (ISKCON) जैसे धार्मिक संगठन वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का विकास मॉडल मुख्य रूप से वैश्विक स्तर की शिक्षा और समावेशी विकास के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। यह मॉडल मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी से स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है और इसका उद्देश्य सड़क, रेलवे, हवाई और समुद्री बंदरगाहों जैसी उच्च-गुणवत्ता वाली बुनियादी सुविधाओं का निर्माण कर नागरिकों को सशक्त बनाना है।
चंदेल ने कहा, "भारत की सबसे बड़ी ताकत इसका जीवंत लोकतंत्र और इसकी बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहु-जातीय पहचान है। अगर दुनिया को भारत से कुछ सीखना है, तो वह है सहिष्णुता और विविध संस्कृतियों को आत्मसात करने की क्षमता।"