रिपोर्ट के वैश्विक मीडिया कवरेज पर बोलते हुए सोलहेम ने पूछा, "अमेरिकी अतिक्रमण कब रुकेगा?" अमेरिकी रिपोर्ट में अडानी समूह से जुड़े कुछ लोगों पर भारत में सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत पर चर्चा करने का आरोप लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों की ऐसी कार्रवाइयां भारत के हरित ऊर्जा रूपांतरण में बाधा डालती हैं और देश की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों में से एक को बाधित करती हैं।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "पिछले सप्ताह वैश्विक मीडिया में अडानी समूह के खिलाफ एक अमेरिकी अभियोजक द्वारा अभियोग लगाए जाने की खबरें भरी पड़ी थीं। अब समय आ गया है कि दुनिया यह पूछे कि अमेरिकी अतिक्रमण कब रुकेगा? आइए एक क्षण के लिए स्थिति को पलट दें और मान लें कि एक भारतीय न्यायालय ने शीर्ष अमेरिकी व्यापारिक अधिकारियों पर कथित रूप से अमेरिका में किए गए अपराधों के लिए आरोप लगाया है। क्या यह अमेरिका को स्वीकार्य होगा? क्या अमेरिकी मीडिया इसे उचित मानेगा?"
उन्होंने कहा, "अब यह स्पष्ट हो गया है कि आरोप अडानी के शीर्ष नेतृत्व गौतम और सागर अडानी के खिलाफ नहीं हैं। न ही इस बात का सबूत है कि अडानी के अधिकारियों ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी। अभियोग केवल इस दावे पर आधारित है कि रिश्वत का वादा किया गया था या इस पर चर्चा की गई थी।"
सोलहेम ने तर्क दिया कि "अमेरिकी अतिक्रमण" के वास्तविक जीवन में परिणाम हैं जो लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। अब समय आ गया है कि अमेरिकी अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए!"
बुधवार को पूर्व भारतीय सांसद और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने अमेरिका में "डीप स्टेट" पर भारत को अस्थिर करने के लिए न्यायपालिका को हथियार बनाने का आरोप लगाया। वहीं अडानी समूह ने भी आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।