देवनाथ ने बताया, "अगर हम विशेष रूप से यूक्रेन की वायु रक्षा के बारे में बात करते हैं, तो वे ऐसी मिसाइल से निपटने में सक्षम नहीं हैं। भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान ने ओरेश्निक पर ध्यान दिया होगा, क्योंकि नई दिल्ली यूक्रेन संघर्ष क्षेत्र में रूस नाटो दोनों की प्रतिक्रियाओं पर बारीकी से नज़र रख रही है। इस मिसाइल के प्रयोग के अगले दिन ही भारत की रणनीतिक कमान ने साउथ ब्लॉक में एक बैठक की और ओरेश्निक मिसाइल पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।"
ग्रुप कैप्टन (सेवानिवृत्त) उत्तम कुमार ने कहा, "रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि यह एक बिल्कुल नया रूसी हथियार है। लॉन्च होने के बाद यह अपने अंतिम चरण में छह वारहेड्स छोड़ता है, लेकिन ओरेशनिक को अन्य हथियारों से अलग करने वाली बात इसकी मैक 10 की असाधारण गति है, जो ध्वनि की गति से 10 गुना अधिक है।"
उन्होंने अपने शब्दों को विराम देते हुए अंत में बताया, "इसे स्वदेशी विकास के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है क्योंकि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ या रूस के साथ संयुक्त उद्यम के अंतर्गत ओरेश्निक के समान मिसाइल विकसित करने में यह संस्थान अति सक्षम हैं। अतीत में रूस ने भारत के साथ अनेकों महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकी अनुबंध सहजतापूर्वक हस्तांतरित किए हैं और ओरेशनिक के मामले में भी, यह विचार अलग नहीं होना चाहिए।"