ये युद्धपोत सबसे अच्छे हथियारों और सेंसर्स से लैस होंगे जिनसे नौसेना की युद्ध क्षमता को बढ़त प्राप्त होगी। ये सभी युद्धपोत तेज़ रफ्तार के होंगे, दुश्मन के युद्धपोत या ज़मीनी ठिकाने पर हमला करने वाली मिसाइलों से लैस होंगे। इनमें एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के साथ-साथ हवाई हमलों की टोह लेने के सिस्टम भी होंगे।
ये युद्धपोत 35 नॉट तक की रफ्तार पर पहुंचने में सक्षम होंगे और इनमें 93 नौसैनिकों को तैनात भी किया जा सकेगा। हमला करने के लिए इसमें 8 ब्रह्मोस लगाई जा सकेंगी। हवाई हमले से सुरक्षा के लिए इनमें 32 मिसाइलें लगाने की जगह होगी।
भारतीय नौसेना खुद को तेज़ी से आधुनिक बना रही है। इस समय भारतीय नौसेना के 50 युद्धपोत निर्माणाधीन हैं और अगले 12 महीनों में लगभग हर महीने एक युद्धपोत भारतीय नौसेना में समाविष्ट होगा।
संयोगवश इन युद्धपोतों के निर्माण का काम 16 दिसंबर को यानि विजय दिवस पर आरंभ हुआ है जो 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस युद्ध में उल्लेखनीय कार्रवाई भारतीय नौसेना का कराची बंदरगाह पर हमला था जिसने पाकिस्तान की नौसेना की कमर तोड़ दी थी।
ऑपरेशन ट्राइडेंट और ऑपरेशन पायथन नाम के इन हमलों में भारतीय नौसेना की विद्युत क्लास की मिसाइल बोट्स ने पाकिस्तानी नौसेना की ताक़त आधी कर दी थी। ये मिसाइल बोट सोवियत ओसा-1 क्लास का भारतीय संस्करण थीं।