उच्च पदस्थ रक्षा सूत्र ने Sputnik India को बताया है कि 2026 में एक लाख AK-203 राइफलें सेना को सौंपने का लक्ष्य है जिसमें स्वदेशीकरण का हिस्सा 50 प्रतिशत होगा।
भारतीय सेनाएं लंबे समय से AK सीरीज़ की राइफलें इस्तेमाल करती रही हैं खास तौर पर आतंकवाद विरोधी कार्रवाइयों और स्पेशल फोर्सेज़ के ऑपरेशनों में। लेकिन अब भारतीय सेना इन राइफलों को अपने स्टैंडर्ड इश्यू वैपन के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी में है।
90 के दशक से भारतीय सेना स्टैंडर्ड इश्यू वैपन के तौर पर स्वदेशी 5.56mm कैलिबर की इंसास (INSAS) राइफलें इस्तेमाल करती है। 400 मीटर तक की रेंज वाली इंसास राइफलों में 20 राउंड की मैगज़ीन है लेकिन ब्रस्ट फ़ायर की सुविधा नहीं है।
AK-203 का कैलिबर 7.62mm है और इसकी रेंज 400 से 800 मीटर की है। इसमें 30 राउंड की मैगज़ीन लगती है जिसे ज़रूरत के मुताबिक बढ़ाकर 50 राउंड का किया जा सकता है। इसमें कई तरह की साइट्स लगाकर इसे दिन और रात हर समय काम करने के लिए कारगर बनाया जा सकता है।
AK सीरीज़ की राइफलों की मज़बूती, इस्तेमाल में आसानी और विश्वसनीयता के कारण ये भारतीय सुरक्षा बलों का पसंदीदा हथियार है।