इन मिसाइलों की रेंज 220 से 300 किमी तक है और इनकी रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से तीन गुना यानी 3 मैक तक हो सकती है।
इनका निशाना अचूक है और इनकी सटीकता 50 मीटर तक है यानी ये निशाने से अधिकतम 50 मीटर दूर हमला करती हैं। इस सटीकता के साथ दुश्मन के बड़े युद्धपोत पर मिसाइल का हमला उसे पूरी तरह तबाह कर सकता है।
इनका वजन एक से दो टन होता है और इसमें 500 किलोग्राम का वारहेड लगा होता है। इनमें से कुछ में सेकंड प्रोपल्शन स्टेज होता है जिससे लक्ष्य के पास पहुंचने पर मिसाइल सुपरसोनिक स्प्रिंट की रफ्तार हासिल करती है। इससे किसी डिफेंस सिस्टम के लिए बचाव की संभावना समाप्त हो जाती है।
भारत ने रूस से ऐसी 10 सबमरीन का सौदा 80 के दशक में किया था। इनमें से दो डिकमीशन हो चुकी हैं जबकि एक सिंधुध्वज को 2022 में म्यांमार नौसेना को दे दिया गया है। सिंधुघोष क्लास की 7 सबमरीन के अतिरिक्त भारतीय नौसेना के पास 6 स्वदेशी कलवरी क्लास और 4 शिशुमार क्लास यानी कुल 17 डीज़ल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। इनके अतिरिक्त दो स्वदेशी न्यूक्लियर बैलेस्टिक सबमरीन (SSBN) अरिहंत और अरिघात हैं। भारतीय नौसेना 6 नई डीज़ल-इलेक्ट्रिक और 2 न्यूक्लियर अटैक (SSN) बनाने की तैयारी कर रही है।