भारतीय सेना के आर्मी एयर डिफेंस (AAD) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डीकुन्हा ने बताया है कि इस तरह के सिस्टम का एक स्वदेशी प्रोटोटाइप सेना के पास आ गया है और 9 अन्य सिस्टम खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
भारतीय सेना को अलग-अलग वातावरण में काम करने वाले एंटी ड्रोन सिस्टम की ज़रूरत है। नए एंटी ड्रोन सिस्टम हिमालय में 13000 फीट से भी ज्यादा ऊंचाई, शून्य से 20 डिग्री से लेकर शून्य से 45 डिग्री के तापमान पर काम कर सकें।
सेना द्वारा जारी सूचना के मुताबिक इन सिस्टम को पहाड़ी इलाक़ों के अलावा, मैदानों, रेगिस्तान और समुद्र तटीय इलाक़ों में काम करने में सक्षम होना चाहिए। यानी भारतीय सेना पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमा पर अपनी एंटी ड्रोन क्षमता को बढ़ा रही है।
प्राप्त हुई सूचना के अनुसार लेज़र की क्षमता 3 किमी दूर से ड्रोन को तबाह करने की होनी चाहिए। हाई पावर माइक्रोवेव की रेंज 1 किमी तक की होनी चाहिए।
जनरल डीकुन्हा ने कहा कि छोटे ड्रोन भी सीमा पर किसी सैनिक पर हमला करने में सक्षम हैं इसलिए उन्हें रोकने के लिए विशेष रडार खरीदे जा रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि सेना ने लो लेवल लाइट वेट रडार (LLLR) की आपात खरीदी की है। अब उनकी तादाद को बढ़ाया जा रहा है ताकि छोटे से छोटे ड्रोन को भी सीमा पर ही पहचाना और रोका जा सके।