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घाटी में नाकाम होने के बाद आतंकियों ने जम्मू को निशाना बनाया: सैन्य विशेषज्ञ
घाटी में नाकाम होने के बाद आतंकियों ने जम्मू को निशाना बनाया: सैन्य विशेषज्ञ
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भारत के जम्मू क्षेत्र में आतंकी घुसपैठ के मामले बढ़ते जा रहे हैं, इस क्षेत्र में वर्षों से लंबे समय से शांति रही है।
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भारत के जम्मू क्षेत्र में आतंकी घुसपैठ के मामले बढ़ते जा रहे हैं, इस क्षेत्र में वर्षों से लंबे समय से शांति रही है।आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 से जम्मू-कश्मीर के पुंछ, रजौरी और जम्मू सहित पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बना कर कई हमलों को अंजाम दिया गया है। अगर पिछले दो सालों को देखें तो जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर तीन-तीन हमले हुए, जबकि केवल वर्ष 2024 में अब तक ऐसे छह आतंकी हमले दर्ज किए जा चुके हैं।16 जुलाई को डोडा जिले में हुए ताजा हमले में एक सैन्य अधिकारी समेत चार सैन्यकर्मी शहीद हो गए। इस साल जम्मू क्षेत्र में यह छठा बड़ा आतंकवादी हमला था।विशेषज्ञ ने यह टिप्पणी उस समय की है जब भारतीय सुरक्षा बलों और आतंकयो के बीच मुठभेड़ जारी है, जिसमें दो जवान घायल हो गए हैं। और इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों को लेकर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की, इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए।भारतीय सेना से कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए कर्नल दानवीर सिंह एक अनुभवी सैन्यकर्मी रहे हैं जो अब हथियार प्रणालियों के विकास पर बारीकी से नज़र रखते हैं और रक्षा, रणनीति और विदेशी मामलों पर विश्लेषण करते हैं।जब Sputnik भारत ने उनसे आतंकवादियों द्वारा जम्मू क्षेत्र को निशाना बनाने के पीछे का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के लिए घाटी में प्रवेश करना बहुत कठिन हो गया है, इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र को चुना।आगे उन्होंने जम्मू और घाटी की तुलना करते हुए बताया कि जम्मू क्षेत्र अधिक ऊबड़-खाबड़ और छोटा है जबकि कश्मीर घाटी समतल है। इसके आगे उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से राज्य में होने वाले आगामी चुनाव भी एक मुद्दा है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए ये सभी पहलू आपस में जुड़े हुए हैं। मुझे नहीं लगता कि नई केंद्र सरकार के गठन से इसका कोई संबंध है।जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने में बाहरी तत्वों की भूमिका पर पूछे जाने पर कर्नल (सेवानिवृत्त) दानवीर सिंह कहते हैं कि आतंकवाद के पीछे सारी भूमिका बाहरी तत्वों की है। पाकिस्तान कई मोर्चों पर मुश्किलों का सामना कर रहा है।सिंह आगे कहते हैं कि वें इस मुद्दे को उजागर करने के उद्देश्य से यहां परेशानी पैदा करना चाहते हैं और इस्लामाबाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कुछ कार्रवाई करना चाहता है। जब ऐसा होगा, तो उन्हें अपने देश में बहुत ज्यादा समर्थन मिलेगा। जम्मू में हुए आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि जिस तरह की कार्यवाही को उन्होंने अंजाम दिया है वह किसी साधारण आतंकी के बस का नहीं है।आगे और विवरण देते हुए कर्नल सिंह कहते हैं कि जिन आतंकियों ने भारत के जम्मू क्षेत्र में इन आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है वह संभवतः पाकिस्तान के कमांडो यूनिट से प्रशिक्षण लेकर आए हैं।
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घाटी में नाकाम होने के बाद आतंकियों ने जम्मू को निशाना बनाया: सैन्य विशेषज्ञ
Sputnik से बात करते हुए भारतीय सेना से सेवानिवृत्त एक रक्षा विशेषज्ञ ने बताया कि जम्मू में आतंकवादी हमलों और राज्य में होने वाले आगामी चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से कराए जाने के बीच एक संबंध है, इसलिए सीमा पार तनाव देखा जा रहा है।
भारत के जम्मू क्षेत्र में आतंकी घुसपैठ के मामले बढ़ते जा रहे हैं, इस क्षेत्र में वर्षों से लंबे समय से शांति रही है।
आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 से जम्मू-कश्मीर के पुंछ, रजौरी और जम्मू सहित पीर पंजाल रेंज के दक्षिण में नागरिकों और सुरक्षा बलों को निशाना बना कर कई
हमलों को अंजाम दिया गया है। अगर पिछले दो सालों को देखें तो जम्मू क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर तीन-तीन हमले हुए, जबकि केवल वर्ष 2024 में अब तक ऐसे छह आतंकी हमले दर्ज किए जा चुके हैं।
16 जुलाई को डोडा जिले में हुए ताजा हमले में एक सैन्य अधिकारी समेत चार सैन्यकर्मी शहीद हो गए। इस साल जम्मू क्षेत्र में यह
छठा बड़ा आतंकवादी हमला था।
विशेषज्ञ ने यह टिप्पणी उस समय की है जब भारतीय सुरक्षा बलों और आतंकयो के बीच मुठभेड़ जारी है, जिसमें दो जवान घायल हो गए हैं। और इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमलों को लेकर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक की अध्यक्षता की, इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल हुए।
भारतीय सेना से कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए कर्नल दानवीर सिंह एक अनुभवी सैन्यकर्मी रहे हैं जो अब हथियार प्रणालियों के विकास पर बारीकी से नज़र रखते हैं और रक्षा, रणनीति और विदेशी मामलों पर विश्लेषण करते हैं।
जब Sputnik भारत ने उनसे आतंकवादियों द्वारा जम्मू क्षेत्र को निशाना बनाने के पीछे का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के लिए
घाटी में प्रवेश करना बहुत कठिन हो गया है, इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र को चुना।
रक्षा विशेषज्ञ कर्नल दानवीर सिंह ने कहा, "पाकिस्तानी ने घाटी में अशांति पैदा करने के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं और वास्तव में वे लड़ाई हार चुके हैं। अब उन्हें लगता है कि जम्मू क्षेत्र में कुछ गतिविधि करके घाटी की तुलना में जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ करना शायद आसान है, क्योंकि घाटी में प्रवेश करना बहुत मुश्किल हो गया है। वहां की स्थानीय आबादी भी आतंकवाद से तंग आ चुकी है, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान का दोहरा चेहरा समझ में आ गया है।"
आगे उन्होंने जम्मू और घाटी की तुलना करते हुए बताया कि जम्मू क्षेत्र अधिक ऊबड़-खाबड़ और छोटा है जबकि कश्मीर घाटी समतल है। इसके आगे उन्होंने बताया कि निश्चित रूप से राज्य में होने वाले आगामी चुनाव भी एक मुद्दा है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इसलिए ये सभी पहलू आपस में जुड़े हुए हैं। मुझे नहीं लगता कि
नई केंद्र सरकार के गठन से इसका कोई संबंध है।
सिंह ने जोर देकर कहा, "जम्मू क्षेत्र में राजौरी, पुंछ, डोडा, किश्तवाड़ हैं जहां ऊंचे पहाड़ और घने जंगल नियंत्रण रेखा के करीब हैं, पंजाब सीमा से घुसपैठ करना और उन जगहों पर जाना आसान है, यहां तक कि नेपाल मार्ग का फायदा उठाना भी कोई बड़ी समस्या नहीं है।"
जम्मू क्षेत्र में
आतंकवाद को बढ़ावा देने में बाहरी तत्वों की भूमिका पर पूछे जाने पर कर्नल (सेवानिवृत्त) दानवीर सिंह कहते हैं कि आतंकवाद के पीछे सारी भूमिका बाहरी तत्वों की है। पाकिस्तान कई मोर्चों पर मुश्किलों का सामना कर रहा है।
दानवीर सिंह ने कहा, "पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ एक बड़ी समस्या का सामना कर रहा है। अफगानिस्तान उनके खिलाफ है। खैबर पख्तूनख्वा में एक बड़ी समस्या पनप रही है। और किसी तरह वे जम्मू क्षेत्र में परेशानी पैदा करने के लिए बेताब हैं, क्योंकि कश्मीर घाटी उनके लिए बहुत दूर का सपना बन गई है और उनके लिए वहां जाना मुश्किल है।"
सिंह आगे कहते हैं कि वें इस मुद्दे को उजागर करने के उद्देश्य से यहां परेशानी पैदा करना चाहते हैं और इस्लामाबाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कुछ कार्रवाई करना चाहता है। जब ऐसा होगा, तो उन्हें अपने देश में बहुत ज्यादा समर्थन मिलेगा। जम्मू में हुए
आतंकी हमलों में शामिल आतंकियों पर बात करते हुए उन्होंने बताया कि जिस तरह की कार्यवाही को उन्होंने अंजाम दिया है वह किसी साधारण आतंकी के बस का नहीं है।
उन्होंने कहा, "वे पाकिस्तान में राष्ट्रवाद को भड़काने में सक्षम होंगे, मूल रूप से पाकिस्तान में पनप रहे असंतोष को दबाने के लिए। इसलिए यह भी इस पूरी आतंकी गतिविधि का एक पहलू है जिसे हम जम्मू क्षेत्र में देखते हैं। मैं समझता हूं कि जिस तरह के ऑपरेशन उन्होंने किए हैं, वे बहुत प्रभावी ऑपरेशन हैं। इसका मतलब यह है कि ये आतंकवादी सामान्य आतंकवादी नहीं हैं।"
आगे और विवरण देते हुए कर्नल सिंह कहते हैं कि जिन आतंकियों ने भारत के जम्मू क्षेत्र में इन आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है वह संभवतः पाकिस्तान के
कमांडो यूनिट से प्रशिक्षण लेकर आए हैं।
उन्होंने अंत में कहा, "वे उच्च प्रशिक्षित लोग हैं, संभवतः पाकिस्तानी विशेष सेवा समूह (SSG) से प्रशिक्षण लेकर आए हैं। पाकिस्तान के SSG या पाकिस्तानी सेना में यह प्रोत्साहन दिया जाता है कि जो कोई भी कश्मीर में जिहाद के लिए जाता है, उसे उस देश में बहुत ज़्यादा पैसे मिलते हैं। और वे इस क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना के नियमित कर्मियों को भी भेजते रहे हैं। और मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ये ऑपरेशन किसी उग्रवादी संगठन द्वारा नहीं किए गए।"