भारत और रूस ने इस क्लास के चार फ्रिगेट्स के निर्माण के लिए 2018 में समझौता किया था इनमें से दो का निर्माण रूस के यांतर शिपयार्ड में और दो का निर्माण भारत में गोवा शिपयार्ड में होना है।
रूस में बना इस क्लास का पहला फ्रिगेट आईएनएस तुशील पिछले साल दिसंबर में भारतीय सेना में शामिल हो चुका है जबकि दूसरा तमाल अगले दो से तीन महीने में बनकर तैयार हो जाएगा।
इन फ्रिगेट्स को समुद्र की सतह, उसके अंदर और सतह से आकाश में युद्ध के लिए तैयार किया गया है। इन गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट में ब्रह्मोस मिसाइलें लगाकर दुश्मन के जहाज़ों और ज़मीनी ठिकानों पर हमला करने की जबरदस्त ताक़त दी गई है। इनकी अधिकतम रफ्तार 30 नॉटिकल मील प्रति घंटे की है और इस रफ्तार से यह एक बार में 3000 किमी तक की दूरी तय कर सकते हैं। इसमें हवाई हमले से सुरक्षा के लिए मध्यम दूरी तक मार करने वाली श्टिल और छोटी दूरी पर सुरक्षा के लिए इगला मिसाइल सिस्टम लगाए गए हैं।
दुश्मन की सबमरीन से निबटने के लिए जहाज़ में एंटी सबमरीन रॉकेट्स और टॉरपीडो लगाए गए हैं। समुद्र की सतह पर नज़र रखने के लिए लगाए गए रडार और पानी के अंदर तलाश करने के लिए लगाए गए सोनार अत्याधुनिक हैं। जहाज़ में लगा कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम हर हथियार को कम समय में और कारगर ढंग से इस्तेमाल करने में मदद करता है। इन फ्रिगेट्स पर एक हेलीकॉप्टर तैनात किया जा सकता है।
भारत में तलवार क्लास के युद्धपोतों का भारतीय नौसेना में शामिल होना 2003 से शुरू हो गया था और इस क्लास के 6 जंगी जहाज़ इस समय भारतीय नौसेना में हैं। इनमें से से चार को लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जा चुका है जबकि बाकी दो को जल्द ही ब्रह्मोस से लैस कर दिया जाएगा। चार नए फॉलो-ऑन युद्धपोतों के शामिल होने के बाद नौसेना में इस क्लास के युद्धपोतों की तादाद 10 हो जाएगी।