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भारतीय स्वदेशी रक्षा उद्योग ने एक दिन में दो युद्धपोत सौंपकर रचा इतिहास
भारतीय स्वदेशी रक्षा उद्योग ने एक दिन में दो युद्धपोत सौंपकर रचा इतिहास
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रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि पाते हुए मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने शुक्रवार को दो बड़े... 21.12.2024, Sputnik भारत
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गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर सूरत, विशाखापट्टनम क्लास का चौथा और अंतिम युद्धपोत है जबकि नीलगिरि अपनी क्लास के सात में से पहला स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है।दोनों ही युद्धपोतों को शीघ्र ही समारोहपूर्वक भारतीय नौसेना में समाविष्ट किया जाएगा। दोनों ही युद्धपोत अत्याधुनिक अस्त्र प्रणालियों, संचार सुविधाओं और रडार से लैस हैं।दुश्मन की सबमरीन से निपटने के लिए टॉरपीडो और रॉकेट्स से लैस सूरत में दो स्वदेशी ध्रुव हेलीकॉप्टर नियुक्त किए जा सकते हैं। स्वदेशी शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट के अतिरिक्त इसमें दुश्मन की मिसाइलों को भ्रमित करने वाले कवच डिकॉय और सबमरीन से बचाव के लिए मारीच टॉरपीडो बचाव सिस्टम लगाए गए हैं। भारतीय नौसेना में दिल्ली, विशाखापट्टनम और राजपूत क्लास के कुल 12 गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स हैं।इसमें 8 ब्रह्मोस मिसाइलें लगाई गई हैं। हवाई हमलों का सामना करने के लिए बराक मिसाइलें और सबमरीन का सामान करने के लिए टॉरपीडी और रॉकेट्स लगाए गए हैं। यह स्टेल्थ फ्रिगेट है और इसको दुश्मन के रडार से छिपाने के लिए विशेष तरह से डिज़ाइन किया गया है। इसी वर्ष अगस्त में MDL ने ब्राज़ील को इसी श्रेणी के 6 फ्रिगेट्स का साझा उत्पादन करने का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में भारतीय नौसेना में शिवालिक, तलवार और ब्रह्मपुत्र क्लास के कुल 12 गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स हैं।
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भारत, भारत सरकार, भारतीय नौसेना, युद्धपोत, ब्रह्मोस , बड़े एंटी-सबमरीन जहाज, मिसाइल विध्वंसक, भारत का विकास, तकनीकी विकास
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भारतीय स्वदेशी रक्षा उद्योग ने एक दिन में दो युद्धपोत सौंपकर रचा इतिहास
रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि पाते हुए मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) ने शुक्रवार को दो बड़े युद्धपोत भारतीय नौसेना को सौंप दिए। यह जानकारी इस कंपनी ने एक्स पर साझा की।
गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर सूरत, विशाखापट्टनम क्लास का चौथा और अंतिम युद्धपोत है जबकि नीलगिरि अपनी क्लास के सात में से पहला स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट है।
दोनों ही युद्धपोतों को शीघ्र ही समारोहपूर्वक
भारतीय नौसेना में समाविष्ट किया जाएगा। दोनों ही युद्धपोत अत्याधुनिक अस्त्र प्रणालियों, संचार सुविधाओं और रडार से लैस हैं।
सूरत 7400 टन वजन का एक विशाल युद्धपोत है जिसमें 300 नौसैनिक तैनात हो सकते हैं। यह 45 दिन तक समुद्र में रह सकता है, 15000 किमी की दूरी तय कर सकता है और 62 किमी की अधिकतम गति तक जा सकता है। इसमें 16 ब्रह्मोस मिसाइलें और हवाई हमले से सुरक्षा के लिए 32 बराक मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। यह भारतीय नौसेना का पहला युद्धपोत है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोग से इसकी कार्रवाई में जबरदस्त बढ़त दी है।
दुश्मन की सबमरीन से निपटने के लिए टॉरपीडो और रॉकेट्स से लैस सूरत में दो स्वदेशी ध्रुव हेलीकॉप्टर नियुक्त किए जा सकते हैं। स्वदेशी शक्ति इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट के अतिरिक्त इसमें दुश्मन की मिसाइलों को भ्रमित करने वाले कवच डिकॉय और सबमरीन से बचाव के लिए मारीच टॉरपीडो बचाव सिस्टम लगाए गए हैं। भारतीय नौसेना में दिल्ली, विशाखापट्टनम और राजपूत क्लास के कुल 12 गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स हैं।
नीलगिरि क्लास के कुल 7 फ्रिगेट बन रहे हैं और नीलगिरि इस क्लास का पहला फ्रिगेट है जो नौसेना को प्राप्त हुआ है। नीलगिरि को सितंबर 2019 को समुद्र में उतारा गया था। साढ़े छह हज़ार टन से अधिक वज़नी नीलगिरि में 226 नौसैनिक और एक हेलीकॉप्टर के तैनात होने की जगह है।
इसमें 8
ब्रह्मोस मिसाइलें लगाई गई हैं। हवाई हमलों का सामना करने के लिए बराक मिसाइलें और सबमरीन का सामान करने के लिए टॉरपीडी और रॉकेट्स लगाए गए हैं।
यह स्टेल्थ फ्रिगेट है और इसको दुश्मन के रडार से छिपाने के लिए विशेष तरह से डिज़ाइन किया गया है। इसी वर्ष अगस्त में MDL ने ब्राज़ील को इसी श्रेणी के 6 फ्रिगेट्स का साझा उत्पादन करने का प्रस्ताव दिया है। वर्तमान में भारतीय नौसेना में शिवालिक, तलवार और ब्रह्मपुत्र क्लास के कुल 12 गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स हैं।