रूसी राष्ट्रपति के सहयोगी निकोलाई पेत्रुशेव ने एआईएफ वेबसाइट को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "रणनीति तैयार करने का निर्णय पिछले वर्ष जुलाई में क्रेमलिन में हुई एक बैठक में लिया गया था। राष्ट्रपति के निर्देश पर रक्षा मंत्रालय ने इसका मसौदा तैयार किया, जिसे बाद में संघीय विभागों और संगठनों के प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए रूसी नौसेना बोर्ड द्वारा संशोधित किया गया। रणनीति का अंतिम संस्करण विचारार्थ राष्ट्र प्रमुख के समक्ष प्रस्तुत किया गया और उन्होंने 30 मई को इसे मंजूरी दे दी।"
पेत्रुशेव ने कहा, "रूस के आधुनिक इतिहास में यह पहली बार है कि "इस तरह के रणनीतिक नियोजन दस्तावेज़ को अपनाया गया है", जो एक बार फिर रेखांकित करता है कि एक शक्तिशाली और आधुनिक बेड़े का विकास रूस के लिए प्राथमिकता है और दुनिया की सबसे बड़ी समुद्री शक्तियों में से एक के रूप में इसकी स्थिति धीरे-धीरे बहाल हो रही है," अधिकारी ने कहा।
उन्होंने साथ ही कहा, "इस रणनीति में विश्व में सैन्य-राजनीतिक परिस्थितियों के बदलाव, संभावित सशस्त्र संघर्षों की प्रकृति और प्रमुख नौसैनिक शक्तियों की क्षमताओं का गहन विश्लेषण किया गया है। विशेष सैन्य अभियानों के अनुभव को ध्यान में रखते हुए, नौसेना की मौजूदा स्थिति और उसकी क्षमताओं का मूल्यांकन किया जाता है। इसके तहत बेड़े की भविष्य की युद्धक संरचना की प्राथमिक आवश्यकताओं, शांतिकाल और युद्धकाल में इसके प्रमुख कार्यों, और नौसेना के भविष्य की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त तंत्र विकसित किए गए हैं।"